‘हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा’. यह कहावत फिट बैठती है. पश्चिम चम्पारण जिले के एक ऐसे युवा पर, जिसने भारतीय सेना में जाकर देश सेवा का सपना देखा था, लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से ऐसा कर नहीं पाया. सपना टूट जाने पर महीनों चिंता में डूबा रहा और एक दिन कुछ ऐसा कर डाला, जिसकी वजह से आज वो हजारों लोगों का प्रेरणा स्रोत बन चुका है. जी हां ! ये कहानी है चम्पारण के एक 21 वर्षीय युवा की, जो आज जिले का सबसे सफल युवा किसान बन चुका है और कृषि के क्षेत्र में दर्जनों खिताब जीत चुका है.
8 कट्ठे में उपजाया 2 लाख रुपए का शिमला मिर्च
पश्चिम चम्पारण जिलेके मझौलिया प्रखंड के करमवा गांव का रहने वाला 21 वर्षीय आर्यन पढ़ाई पूरी कर भारतीय सेना में भर्ती होना चाहता था. इसलिए स्कूलिंग से ही तैयारी शुरू कर दी थी. लिखित और शारीरिक जांच परिक्षा पास करने के बाद बारी जब मेडिकल की आई, तब उसे निराशा झेलनी पड़ी. सपना टूटने के बाद कुछ महीने तक आर्यन परेशान रहा. कृषक परिवार से होने की वजह से एक दिन खेतों में काम करने के दौरान उसे यह एहसास हुआ कि कृषि में भी वह कुछ अच्छा कर सकता है. बस उसने रिसर्च शुरू किया और नेट डाल कर बिन मौसम की खेती करने लगा. पहली बार में ही 8 कट्ठा जमीन में 2 लाख रुपए से अधिक का शिमला मिर्च का उत्पादन कर दिखाया.
हर वर्ष 11 लाख रुपए की कमाई
बकौल आर्यन, आज वह हरी सब्जियों के अलावा मशरूम उत्पादन और मत्स्य पालन भी कर रहा है. मशरूम उत्पादन से हर तीन महीने में वह 1 लाख रुपए, शेड फार्मिंग से सालाना 6 लाख रुपए और मस्त्य पालन से एक सीजन में 4 लाख रुपए की कमाई कर रहा है. बड़ी बात यह है कि महज 21 वर्ष की उम्र में ही उसने जिला स्तरीय बागवानी मिशन में 22 पुरस्कार, प्रमंडल स्तरीय बागवानी मिशन में 5 पुरस्कार तथा राज्य स्तरीय बागवानी मिशन में प्रथम पुरस्कार जीतकर किसान श्री का खिताब भी अपने नाम कर लिया है. आज वह शेड फार्मिंग के जरिए बिन मौसम के धनिया, शिमला मिर्च, गांठ गोभी और चाइनीज गोभी का उत्पादन कर रहा है.