कभी पैसों के लिए स्टेज पर गाना गाया. पढ़ाई जारी रखी. आज सहायक प्रोफेसर हैं. इसके साथ BPSC TRE में भी क्वालीफाई कर ज्वाइनिंग लेटर ले चुके हैं. यह हैं पूर्णिया के रहने वाले शिवेश कुमार. शिवेश कहते हैं कि वह भागलपुर तिलकामांझी विश्वविद्यालय से जब पीजी कर रहे थे तो संगीत विषय में हर वक्त गतिशील और अव्वल रहा है. जब पीजी कर ली तो उस समय के कुलाधिपति लाल जी टंडन के द्वारा 3 गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. हालांकि, तीनों मेडल अलग-अलग कार्यो के लिए मिले.
शिवेश ने कहा कि मेरा सफर इतना आसान नहीं था. इस सफर को तय करने के लिए आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ा. जिसके लिए स्टेज प्रोग्राम और भक्ति जागरण सहित संध्या के अलग-अलग कार्यक्रम में जाकर वह संगीत गाते थे. संगीत से उन्हें रुचि भी थी. साथ-साथ उन्हें आर्थिक मजबूती भी मिल जाती थी. अपने परिश्रम से अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार मेहनत करते रहे. जिससे उन्हें आर्थिक उपार्जन का सोर्स बना. धीरे-धीरे वह इस दुनिया में फिर आगे बढ़ते गए और उन्हें निजी विद्यालयों में संगीत शिक्षक सिखाने के लिए चयन किया गया. जिसके बाद वह बहुत दिनों तक निजी विद्यालयों में बच्चों को संगीत सिखाते रहे.
संगीत में Phd की उपाधि की हासिल
माता-पिता और उनके गुरुओं का आशीर्वाद था. वह कहते हैं कि जब लोगों में किसी भी काम को लेकर जब स्थाई रूप से इनकम आने लगती है तो उनकी और उस पर विश्वास गहरा हो जाता है. इसलिए उसी तरह संगीत के क्षेत्र में वह आगे बढ़ते गए. उनका उद्देश्य था कि उच्च से उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके. इसके लिए वह लगातार प्रयास करते रहे. हालाकि, उन्होंने संगीत में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की. वह कहते हैं कि वह अपने संगीत के क्षेत्र के कारण वह बड़े-बड़े मंच पर भी गा चुके हैं, लेकिन अपने शिक्षा को लगातार जारी रखें और अच्छा जीवन बनाने के लिए तत्पर है.
बीपीएससी TRE की परीक्षा की क्रैक
शिवेश ने बीपीएससी TRE की परीक्षा क्रैक कर स्कूल ज्वॉइन कर लिया है. ट्रेनिंग के बाद स्कूल में बच्चों को संगीत की शिक्षा देंगे. उन्होंने बिहार सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि शिक्षक की बहाली निकाली थी. उसमें संगीत शिक्षक का ध्यान दिया गया. संगीत शिक्षक में मेरा भी चयन हुआ है. उन्होंने कहा कि अब आगे संगीत को नहीं छोड़ेंगे और संगीत आत्मा में बसा हुआ है.