झारखंड आर्म्ड पुलिस (जैप-वन) में नवरात्र के पहले दिन गुरुवार को पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना की गई। इस मौके पर जैप वन की कमांडेंट कुसुम पुनिया ने पूजा की। इस मौके पर 8 जवानों ने बंदूकों से फायरिंग कर देवी मां को सलामी दी। तीन राउंड फायरिंग की गई। अब महासप्तमी पर एक बार फिर फायरिंग कर मां को सलामी दी जाएगी।
यहां नवरात्र पूजा का इतिहास काफी पुराना है। अंग्रेजों के जमाने से यानी 1880 से ही यहां पर मां का दरबार सज रहा है। नवरात्र में यहां पिस्टल, यूबीजीएल, रॉकेट लॉन्चर, इंसास, एके-47, एसएलआर, मशीन गन, एलएमजी, मोर्टार, गोला-बारूद व गोलियों की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि आजादी से पहले यहां प्रतिमा स्थापित करने की कोशिश की गई। लेकिन ये नाकाम रही।
इसके बाद सबने तय किया कि अब प्रतिमा नहीं, बल्कि कलश के रूप में नवदुर्गा की पूजा होगी। तब से लेकर आज तक कलश में ही मां नवदुर्गा विराजतीं हैं और भक्त बड़े ही उत्साह से मां की अराधना करते हैं। मंदिर में एक बड़ा-सा कलश रखा जाता है, जिसे चुनरी से सजाते हैं। यहां पूरे नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। यहां शक्ति की पूजा करते हैं। इसलिए शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए फायरिंग करते हैं।
पहले इस बटालियन का नाम था न्यू रिजर्व फोर्स, जिसमें गोरखा जवान ही शामिल थे। बाद में इनका नाम गोरखा मिलिट्री और फिर बिहार मिलिट्री और राज्य बनने के बाद जैप-वन रखा गया। महानवमी के दिन जैप-वन के शस्त्रागार में रखे गए हथियारों की पूजा-अर्चना की जाती है। मां के आशीष से जवानों को शक्ति मिलती है। महासप्तमी के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इसे फूलपाती यात्रा कहा जाता है।
इसमें सबसे आगे नव कन्याएं चलती हैं और पीछे-पीछे भक्तों का हुजूम। आकर्षण का केंद्र होता है रास्ते में मिलने वाले नौ पेड़ों की पूजा। इन पेड़ों की व्रतधारी महिलाएं पूजन करती हैं और जवान फायरिंग करते हैं, सलामी देते हैं।