वैसे तो हमेशा बाढ़ का आना इस क्षेत्र की खास पहचान है लेकिन यहां के बालूशाही की भी अपनी खास पहचान है। हम बात कर रहे हैं रून्नी सैदपुर की।
जो भी राहगीर रुन्नी सैदपुर से गुजरते है उनमें से अधिकतर लोग वहां रुक कर बालूशाही जरुर खरीदते हैं। सैदपुर के बालूशाही न केवल बिहार में, बल्कि आसपास के कई राज्यों और यहाँ तक नेपाल में भी खासा मशहूर हैं। रुन्नी सैदपुर का बालूशाही का डिमांड नेपाल में भी हैं।
मुज़फ्फ़रपुर से तक़रीबन 35 किलोमीटर दूर सीतामढ़ी ज़िला के ‘गेट वे’ के रूप में जाना जाने वाले रून्नी-सैदपुर अपने शाही स्वाद के कारण भी जाना जाता है। यह स्वाद है बालू शाही का। दरअसल, रून्नी और सैदपुर दो अलग-अलग गांव हैं। जिन्हें मिलाकर इसे रून्नी-सैदपुर के नाम से जाना जाता है।
अपने खास स्वाद के कारण यहां की बालू शाही पूरे भारत में पसंद की जाती है। इसी कारण जब भी रुन्नी सैदपुर का नाम आता है तो बालूशाही बरबस याद आ जाती है। प्रखंड स्तरीय इस कस्बे में कुरकुरे और कम मीठे बालू शाही की मांग उत्तर बिहार से लेकर दक्षिण बिहार तक है।
मैदा, घी, बेकिंग सोडा, चीनी और दही का प्रयोग कर बालूशाही को बनाया जाता है। रून्नी सैदपुर के प्रशांत और प्रभात मिष्ठान्न भंडार के प्रभात तथा प्रशांत बताते हैं कि इसे बनाने में पैशेंस की आवश्यकता होती है और दिल से स्वाद को बेहतरीन बनाते हैं। सबसे पहले मैदा छान कर उसमें बेकिंग सोडा़, दही और घी मिलाने के बाद गुनगुने पानी से नरम आटा गूथ कर कुछ देर ढ़क दिया जाता है।
इसके बाद कढ़ाई में घी गर्म कर अच्छे से तलना होता है। इसमें चाशनी बनाने का काम सबसे महत्वपूर्ण होता है। आधा पानी और दुगनी चीनी से एक तार की चाशनी बनाइये और जब चाशनी हल्की गरम रह जाए तो उसमें सारी बालूशाही डुबो दीजिये।
चंद मिनटों के बाद इन्हें चिमटे से निकाल कर थाली या प्लेट में रखकर ठंडा करना होता है। बालूशाही पर चढ़ी चाशनी अच्छी तरह सूखने के बाद स्वादिष्ट बालूशाही तैयार हो जाती है। अब आप चाहें तो इसे ताजा खाएं या फिर इन्हें किसी एअर टाइट कंटेनर में भरकर रख दें। इसके बाद 20 दिनों तक कभी भी खराब नहीं होता है। यहां रिफाइंड ऑयल में बना बालूशाही सौ रुपये किलो तो घी वाला बालूशाही 250 रुपये किलो की दर से मिलता है।
उम्मीद है ये पढ़ते पढ़ते आपके मुँह में भी पानी आ गया होगा। तो फिर इस बार सैदपुर की तरफ जाएँ तो वहां की शाही बालूशाही का स्वाद लेना मत भूलें।