सभ्यता द्वार पाटलिपुत्र के उस गौरवशाली दौर में ले जाने में सक्षम है जब पाटलिपुत्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र था। सभ्यता द्वार के सामने साम्राट अशोक की प्रतिमा स्थापित की गई है जो हमे संदेश देती है कि सदा जीवन त्याग और ज्ञान के प्रति उत्प्रेरित रहे।
इसका निर्माण कार्य 20 मई 2016: प्रारंभ हुआ था और 1 दिसंबर, 2018 को सभ्यता द्वार का उद्घाटन हुआ।
सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र कैंपस में पांच करोड़ रुपए की लागत से 32 मीटर ऊंचे और 8 मीटर चौड़े सभ्यता द्वार का निर्माण करवाया गया है। यह मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया (26 मीटर) से भी 6 मीटर और पटना के गोलघर (29 मीटर) से 3 मीटर अधिक ऊंचा है. इसका पूरा परिसर एक एकड़ में फैला है।सभ्यता द्वार बलुआ पत्थर आर्क से निर्मित गंगा के किनारे स्थित है. सभ्यता द्वार के शीर्ष पर चार शेर वाला अशोक स्तंभ बना है. सभ्यता द्वार पर वैशाली के अशोक स्तम्भ के चार सिंह वाला प्रतीक तत्कालीन मगध और आधुनिक राष्ट्र के बीच सेतु का काम कर रहा है।
सभ्यता द्वार पर आने के बाद अद्भुत शांति का अहसास होता है। यहां गार्डन में रंग बिरंगी रोशनी और फूल लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। शाम के समय खूबसूरत लाइटिंग सभ्यता द्वार में नजर आती है. यह सभ्यता द्वार प्राचीन बिहार की गौरव गाथा बयां करता है। गांधी मैदान के उत्तर और अशोका इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर परिसर के पीछे बना यह द्वार बिहार का लैंड मार्क बन गया है। इस सभ्यता द्वार की खूबसूरती देखते ही बनती है। इस द्वार पर एक तरफ सम्राट अशोक और महात्मा बुध तो दूसरी तरफ महावीर और मेगास्थनीज की वाणी को स्थान दिया गया है।
इस सभ्यता द्वार में शांत म्यूजिक हमेशा बजता रहता है, जो शाम के समय लोगों को खूब भाता है. सभ्यता द्वार में एंट्री फी नहीं रखी गई है क्योंकि यह द्वार बिहार के गौरव को दिखाता है. इस द्वार से बिहार की खूबसूरती दिखती है. यही वजह है कि शाम के समय लोग यहां आते हैं।
♦मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया, दिल्ली का इंडिया गेट और फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजा की शृंखला में पटना का यह सभ्यता द्वार भी है, जो लोगों को बिहार के प्राचीन गौरवशाली पाटलिपुत्र का अहसास दिलाता है।