मोहर्रम को लेकर आपसी भाईचारा की अद्भुत परंपरा की खबर सासाराम अनुमंडल के करगहर में देखने को मिली. बताया जाता है कि करगहर में प्रत्येक वर्ष मोहर्रम का जो जुलूस निकलता है, उसकी शुरुआत ब्राह्मण द्वारा की जाती है. पिछले 200 वर्षों से करगहर के चेत पांडे के वंशज ही जुलूस की सलामी लेते रहे हैं. चेत पांडे के वंसज सोनू पांडे ने ही इस बार भी ताजिया जुलूस की सलामी ली.
इस बार भी जब मोहर्रम का जुलूस निकाला तो उसकी शुरुआत हिंदू संप्रदाय के ब्राह्मण द्वारा पहले करतब दिखाया गया. उसके बाद ही मुस्लिमों ने ताजिया जुलूस की शुरुआत की. परंपरा के अनुसार हिंदू संप्रदाय के ब्राह्मण व्यक्ति को ही पहले पगड़ी पहनाई जाती है, उसके बाद उन्हें सम्मानित किया जाता है. साथ ही ताजिया जुलूस के करतब की शुरुआत होती है.
बताया जाता है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. करगहर में यह परंपरा 200 साल से चली आ रही है. ताजिया के जुलूस के खलीफा कहते हैं कि यहां दशहरा, रामनवमी, बजरंग जयंती से लेकर मोहर्रम और ईद का त्यौहार एक दूसरे के सामंजस्य के साथ मनाने की परंपरा रही हैं. वहीं मोहर्रम के जुलूस की शुरुआत ब्राह्मण द्वारा किए जाने की परंपरा मुस्लिम संप्रदाय के लोग आज भी निभा रहे हैं.
करगहर के रहने वाले सोनू पांडे को इस बार खलीफा ने पगड़ी पहनाया और इसके साथ ही ताजिया के जुलूस की शुरुआत हुई. करगहर में हिन्दू मुस्लिम के बीच ये सामंजस्य वर्षों से चली आ रही हैं. जिसमे हिन्दू ब्राह्मण द्वारा ताजिया की सलामी ली गयी.