Patna: अपने ससुराल सिंहवाहिनी पंचायत से 5 साल तक मुखिया रहीं रितु जायसवाल इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनकी जगह एलाइड सर्विस में रह चुके उनके पति अरुण कुमार मैदान में उतरेंगे। रितु का कहना है कि अब उनका कार्यक्षेत्र पूरा परिहार और पूरा बिहार है, इसलिए जिम्मेदारी बढ़ गई है। सिंहवाहिनी के लोग चाहते हैं कि मैंने जो काम किया है वह आगे बढ़े, इसलिए मेरे पति मुखिया का चुनाव लड़ेंगे। रितु ने राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था।
अरुण कुमार ने बताया कि वे 1995 बैच के अफसर हैं। पहली जॉइनिंग नागपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में मिली। कारगिल युद्ध के समय बोफोर्स एम्यूनिशन में भी उन्होंने काफी योगदान दिया। 12 साल पहले ही उन्होंने नौकरी से VRS लिया। उस समय वो दिल्ली में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के डायरेक्टर के पद पर थे। वहीं, कमिश्नर डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी भी थे।
अरुण कुमार, UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए ऑनलाइन मेंटरशिप का कोर्स कराते हैं। खुद जूलॉजी से Msc हैं, लेकिन साइकोलॉजी से UPSC किया था।अरुण UPSC स्टूडेंट्स को साइकोलॉजी भी पढ़ाते हैं। अभी 240 स्टूडेंट्स इनसे जुड़े हैं। वे कहते हैं कि अभी भी समाज के लिए कुछ करने के लिए गांव ही सबसे अच्छी जगह है। गांधी विदेश से आए तो उन्होंने आंदोलन के लिए चनपटिया जैसी छोटी जगह को ही चुना था।
रितु जायसवाल ने दिल्ली की बेहतरीन दुनिया को छोड़ अपने ससुराल सिंहवाहिनी गांव को चुना और गांव में बिजली से लेकर सड़क लाने का काम किया। 2015 में वह मुखिया बनीं, लेकिन 2012 में गांव आकर लोगों की मदद करने लगी थीं। सिंहवाहिनी पंचायत, सीतामढ़ी का पहला ऐसा गांव है जो ODF (ओपन डेफिकेसन फ्री) गांव बना, यानी खुले में शौच मुक्त गांव। अपने पांच एजेंडे को गिनाते हुए वे कहते हैं- कमाई, पढ़ाई, दवाई, सिंचाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई। ये पांच काम सबसे पहले करना है।