आईएएस अरुण कुमार की पत्नी रितू जायसवाल शादी के बाद ससुराल आई तो वहां का पिछड़ापन देख काफी परेशान हो गईं। गांव में न बिजली थी और न सड़क।रितू से यह पिछड़ापन देखा न गया और उन्होंने गांव की हालत बदलने की ठान ली। मुखिया बनने के बाद रितू ने गांव में विकास के कई काम कराए, जिसके चलते गांव के बड़े उन्हें बेटी जैसा प्यार देने लगे।
बिहार के सीतामढ़ी जिले के सिंघवाहिनी पंचायत की मुखिया रितू जायसवाल के लिए यह सब आसान न था। सड़क बनाने के दौरान गांव के ही लोग एक-एक इंच जमीन छोड़ने के लिए तैयार न थे। लोगों को समझाने के बाद सड़कें बन रही हैं। रितू विकास के काम की खुद निगरानी करती हैं। इसके लिए वह कभी बाइक ड्राइव करती दिखती हैं तो कभी ट्रैक्टर और JCB पर सवार हो जाती हैं।
रितू ने बताया कि 1996 में मेरी शादी 1995 बैच के आईएएस (अलायड) अरुण कुमार से हुई थी।शादी के 15 साल तक जहां पति की पोस्टिंग होती थी मैं उनके साथ रहती थी। एक बार मैंने पति से कहा कि शादी के इतने साल हो गए है। आज तक ससुराल नहीं गई हूं।
एक बार चलना चाहिए। मेरी बात सुन घर से कभी लोग नरकटिया गांव जाने को तैयार हो गए। गांव पहुंचने से कुछ दूर पहले ही कार कीचड़ में फंस गई। कार निकालने की हर कोशिश बेकार होने पर हमलोग बैलगाड़ी पर सवार हुए और आगे बढ़े। कुछ दूर जाते ही बैलगाड़ी भी कीचड़ में फंस गई। इस घटना ने मुझे क्षेत्र के विकास के लिए कुछ करने को प्रेरित किया।
मैं गांव में रहने लगी और लड़कियों को पढ़ाने लगी। 2015 में नरकटिया गांव की 12 लड़कियां पहली बार मैट्रिक की परीक्षा पास की। 2016 में सिंहवाहिनी पंचायत से मुखिया पद के लिए मैं चुनाव लड़ी। मेरे खिलाफ 32 उम्मीदवार थे। लोगों ने कहा कि तुम हार जाओगी। तुम्हारे जाति के मात्र पांच परिवार के लोग हैं। वोट जाति के आधार पर मिलता है। मैं नहीं मानी और मैं जीत गई।