शरीर के विकारों को दूर करता है इस कुएं से निकला गंगाजल

आस्था

 मिथिलांचल में सैकड़ों शिव मंदिर हैं, लेकिन पौराणिक महत्व व पौराणिक विरासत वाली मिथिलांचल का प्रसिद्ध धार्मिक और दर्शनीय स्थल भवानीपुर गांव का उग्रनाथ मंदिर है। इस मन्दिर में सावन के सोमवारी के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु -भक्तजन पूजा अर्चना के लिए पहुंचे हैं। मधुबनी जिला मुख्यालय से लगभग चौदह किलोमीटर दूर भवानीपुर गांव से सटा उग्नेश्वर महादेवका मंदिर। यह शिवलिंग सात अंकुरित महादेवों में से एक हैं। मान्यता है की यहां सच्चे मन से मुरादे मांगने वाला कभी खली हाथ नहीं लौटता है। सावन के महीने में यहां मेले सी रौनक देखने को मिलती है।

एक किवदंती के अनुसार महाकवि विद्यापति की शिवभक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं विद्यापति के घर उगना उर्फ उग्रनाथ नामक नौकर के भेष में आकर चाकरी करने लगे। एक दिन विद्यापति उगना को साथ लेकर घुमने को निकले काफी देर घूमने के बाद विद्यापति को प्यास लगी और वो उगना रुपी महादेव को कहीं से पानी लाने को कहा।
उगना काफी दूर तक गए लेकिन दूर-दूर तक कोई नदी या जलाशय नहीं दिखा तब उगना अपने असली रूप में आए और अपनी जटा से गंगा-जल निकालकर पुनः उगना के भेष में जल लेकर विद्यापति के पास आ गए।
विद्यापति ने जल ग्रहण किया तो उन्हें गंगाजल पीने की अनुभूति हुई उन्होंने उगना से पूछा तो उगना ने पास में ही एक जलाशय होने की बात कही पर विद्यापति को विश्वाश नहीं हुआ और वो उगना को जलाशय के पास ले जाने की बात कही। तब बाध्य होकर उगना ने सच बात बताई और विद्यापति को अपने असली स्वरुप का दर्शन कराया और कहा की इस बात का जिक्र किसी और पास करते ही वो विलीन हो जायेंगे।
यह वही जगह है जहां उगना ने विद्यापति को अपने महादेव स्वरुप का दर्शन कराया था, इसीलिए यहां के महादेव का नाम उग्रनाथ महादेव पड़ा। यहां चंद्रकूप भी है। कहा जाता है कि इसका जल गंगा जल की तरह ही पवित्र है। इसी जल को भक्तगण शिव भगवान को चढ़ाते हैं। कहते हैं की इस चंद्रकूप के जल के पिने से शरीर का कई विकार दूर हो जाते हैं।

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