रसगुल्ला से लेकर कलाकंद… इस चलती-फिरती दुकान में मिलती है 16 वैरायटी की मिठाई, 12 लाख की हो रही कमाई

खबरें बिहार की जानकारी

बिहार के लखीसराय को मिठाई का नगरी कहा जाता है. यहां तरह-तरह की मिठाईयां आपको खाने के लिए मिल जाएगी. मिठाई का कोई भी वैरायटी लोगों को बेहद पसंद आता है. खासकर कच्चा छेना से बने मिठाई लोग बेहद पसंद करते हैं और इसे खाने से भी गुरेज नहीं करते हैं. हालांकि ज्यादातर लोगों को छेना के नाम पर सिर्फ एक ही मिठाई याद रहती है वह है रसगुल्ला. जबकि रसगुल्ला के अलावा भी कई दूसरी मिठाइयां है जिसका स्वाद आपको दीवाना बना देगा.

आज हम आपको लखीसराय के वैसे मिठाई दुकादार के पास लिए चलते हैं जो शहर की सड़कों पर घूम-घूमकर न सिर्फ मिठाई बेचते हैं बल्कि अपने मीठापन का भी एहसास कराते हैं. इस चलती-फिरती दुकान में आपको 16 से अधिक वैरायटी की मिठाई मिल जाएगी. यह दुकानदार कोई और नहीं बल्कि सुमित कुमार हैं जो लोगों के मुंह में मिठास घोलने का काम कर रहे हैं.

16 प्रकार की मिठाईयों को करते हैं बिक्री
युवा सुमित कुमार ने बताया कि यह दुकान 35 वर्ष पुरानी है. इस चलती-फिरती दुकान को पहले पिताजी चलाते थे. उनके हाथ से बने मिठाईयों का क्रेज जबरदस्त था. लोग मिठाई बेहद पसंद करते थे. पिताजी के बाद इस कारोबार का बागडोर खुद संभाल लिए हैं. चलती-फिरती दुकान में 16 प्रकार की मिठाई का बिक्री करते हैं सभी को घर पर ही खुद से बनाते हैं. हालांकि इसमें परिवार के लोग भी सहयोग करते हैं. जिन 16 प्रकार की मिठाईयों की बिक्री करते हैं उसमें प्रमुख रूप से परवल की मिठाई, कलाकंद, रसमलाई, कलाकंद काला, सफेद रसगुल्ला, रबड़ी, काजू कतली सहित अन्य शामिल है. लोगों को सस्ते दर उनके दरबाजे पर मिठाई उपलब्ध कराते हैं. हालांकि मिठाई की गुणवत्ता का खास ख्याल रखते हैं. आज तक किसी भी ग्राहक से मिठाई की क्वालिटी को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है. शाम के समय में मिठाई की सर्वाधिक बिक्री होती है.

12 लाख है सालाना का टर्नओवर
सुमित ने बताया कि मिठाई बनाने का तरीका अपने पिता से ही सीखा था. उन्होंने बताया कि मिठाई बनाने के लिए दियारा इलाके के किसानों से शुद्ध दूध मंगवाते हैं. उसी दूध से छेना तैयार कर अलग-अलग वैरायटी के मिठाई बनाते हैं. उन्होंने बताया कि इसी मिठाई की दुकान पर पूरे परिवार की आजीविका समाहित है. लगातार लखीसराय के लोगों को शुद्ध मिठाई खिलाते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि परवल की मिठाई 300 रुपये प्रति किलो, कलाकंद 360 रिपये, सफेद रसगुल्ला 150 रुपये और काजू कतली 400 रुपये प्रति किलो ग्राहकों को देते हैं. सुमित ने बताया सालोभर सिर्फ मिठाई की ही बिक्री करते हैं. इससे सालाना 12 लाख की कमाई हो जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *