ये सीन विदेश का नहीं, भारत में रामगढ़-रांची की पतरातू घाटी का है। यह बिल्कुल गंगटोक-नाथुला, देहरादून-मसूरी के खूबसूरत लेकिन खतरनाक रास्तों की तरह है।घुमावदार रास्ते और उसके एक किनारे पर गहरी खाई, इसकी वजह से यहां हमेशा बहुत सुरक्षित ड्राइविंग करनी पड़ती है। यहां एक भी चूक भारी पड़ सकती है। दो दर्जन से ज्यादा खतरनाक, घुमावदार मोड़…
हरे-भरे पेड़ों से घिरी घाटी की इस सड़क से नीचे उतरते हुए दो दर्जन से ज्यादा खतरनाक, घुमावदार मोड़ पड़ते हैं।
बरसात में पूरी घाटी हरियाली की चादर में लिपटी रहती है। आमतौर पर झारखंड के इस इलाके में मौसम सामान्य रहता है।
रांची की पिठोरिया पतरातू घाटी निकल भविष्य में फिल्म सिटी, वाटर स्पोर्ट्स ओर टूरिस्ट हब बनने की राह पर है। यह पर्यटन स्थल बन चुका है।
35 किमी लंबी है घाटी, हरियाली के लिए लगाए गए 39 हजार पेड़
यह रोड पिठोरिया होते हुए पतरातू डैम साइट तक जाती है। 35.24 किमी लंबी इस सड़क के निर्माण में 307 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
इस सड़क के दोनों तरफ हरियाली बढ़ाने के लिए 39 हजार पेड़ लगाए गए हैं। पूरी घाटी में कई टूरिस्ट प्वाइंट हैं। घाटी के रास्ते में बरसाती नदियां और कुछ मौसमी झरने भी पड़ते हैं।
कहां से कहां तक
रांची, पिठोरिया होते हुए पतरातू डैम साइट तक।
लागत: 307 करोड़ रुपए।
सड़क की कुल लंबाई 35.27 किलोमीटर।
16.60 किमी फोर लेन।
18.27 किमी टू लेन घाटी में।