पटना: बिहार ही नहीं देश की राजनीति अब 2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर केंद्रित हो रही है . सभी फैसले 2019 को ध्यान में रख लिए जा रहे हैं . भाजपा में अधिक बहस है . चर्चा है, 70 साल से अधिक उम्र वाले नेताओं को सांसद के टिकट की दावेदारी से अलग होने को कहा जा सकता है . वैसे नरेन्द्र मोदी – अमित शाह के लिए यह निर्णय आसान नहीं होगा . इस निर्णय का सीधा मतलब लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन जैसे नेताओं की पार्लियामेंट पॉलिटिक्स से छुट्टी होगी .
70 साल के फार्मूले को लेकर बिहार में भी बहस छिड़ी है . बेगूसराय वाले भोला सिंह को हेल्थ ने ही रिटायर कर दिया है . वे 2019 का चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं हैं . भोला सिंह का जन्म 3 जनवरी 1939 को हुआ है . इस हिसाब से 79 साल के हुए . अभी से भाजपा के भीतर भोला सिंह के बदले बेगूसराय में उम्मीदवार बनने के लिए कई चेहरे उभरते दिख रहे हैं . पहले आरएसएस की विचारधारा वाले प्रो. राकेश सिन्हा की सबसे अधिक चर्चा होती थी . पर वे राज्य सभा पहुंच गए हैं . अब अमित शाह की टीम वाले भाजपा के विधान पार्षद रजनीश कुमार सिंह का नाम सबसे आगे है . रामलखन सिंह हमेशा दावेदार रहते हैं . भाजपा के वाणिज्य मंच वाले कुमार नीरज भी संपर्क बढ़ाए हैं . जब नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी लाया था, तब कुमार नीरज पूरे बिहार में घूमकर जीएसटी के फायदे आम लोगों को बता रहे थे .
राधामोहन सिंह, सांसद, मोतिहारी
राधामोहन सिंह मोतिहारी से सांसद और केन्द्र में कृषि मंत्री हैं . कृषि मंत्रालय को सिंह ने कैसे चलाया, रिपोर्ट कार्ड नरेन्द्र मोदी-अमित शाह के पास है . बिहार को क्या दिया, वे समय आने पर बतायेंगे . जनता भी जरुर पूछेगी .
अभी-अभी 1 सितंबर को राधामोहन सिंह ने जन्म-दिन मनाया है . सबों ने शुभकामनाएं दीं . लेकिन इसके साथ ही वे 70 वें साल में प्रवेश कर गए हैं . 2019 का चुनाव 70 वें साल में ही होगा . विकीपीडिया कहता है कि राधामोहन सिंह की जन्म-तारीख 1 सितंबर, 1949 है . राधामोहन सिंह बिहार में भाजपा के प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं .
सिंह साहेब को लेकर बिहार में बड़ी चर्चाएं हैं . कहा जा रहा है कि 70 का फार्मूला लागू हुआ तो बेटिकट हो जायेंगे . पर सिंह समर्थक कहते हैं कि अभी 70 वें साल में प्रवेश ही किए हैं, पूर्ण नहीं किए हैं . सो, राधामोहन सिंह पर फार्मूला लागू नहीं हो सकता .
हुकुमदेव नारायण यादव, सांसद, मधुबनी
हुकुमदेव नारायण यादव को हाल ही में उत्कृष्ट सांसद का सम्मान मिला है . नरेन्द्र मोदी भी हुकुमदेव नारायण यादव के भाषण को सुनते वक्त मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे . बढि़या बोलते हैं . जमीनी सच्चाई का भी पता है . पर, उम्र 78 साल हो गई है .
हुकुमदेव नारायण यादव की जन्म-तारीख 17 नवंबर 1939 है . कहा जा रहा है कि हुकुमदेव अब 2019 का चुनाव लड़ने को बहुत उत्सुक नहीं हैं . बेटे को राजनीति में आगे लाना चाहते हैं . लेकिन, मधुबनी बेटे का भी साथ देगा, कहा नहीं जा सकता . वैसे बेटे ने मधुबनी में आना-जाना बढ़ा रखा है . देखिए, आखिर में क्या होता है . हुकुमदेव नारायण यादव मधुबनी को खुद से दूर नहीं जाने देने की कोशिश करेंगे .
शरद यादव, मधेपुरा
शरद यादव एनडीए में नहीं हैं . भाजपा का फार्मूला लागू नहीं हो सकता . शरद यादव अब भी अपने को राजनीति से रिटायर नहीं मानते . उम्र से 73 साल के हो गए हैं . 30 जून 1945 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्मे थे .
शरद यादव की जिद इनदिनों और बढ़ी हुई है . वे नीतीश कुमार को कुर्सी से उतारना चाहते हैं . लालू यादव से मिल गए हैं . तेजस्वी यादव को मुख्य मंत्री के रुप में देखने लगे हैं . पहले मधेपुरा में अपने बेटे को लैंड कराने के मूड में थे, पर अब फिर से खुद लड़ने को तैयार हो गए हैं . 2014 में पप्पू यादव से हार गए थे . 2019 में फिर से लड़ाई पप्पू यादव के साथ ही होगी . फर्क बस इतना होगा कि 2014 में लालू यादव को गरियाते थे, अब 2019 में लालू यादव के संग तेजस्वी यादव का भी गुणगान करेंगे .
Source: Live Cities News