भारत ने टोक्यो ओलंपिक में एक और मेडल जीत लिया है. बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीता और वहीँ पुरुष हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में जगह बनाकर 41 साल बाद पदक की तरफ कदम बढ़ाये. इससे टोक्यो ओलंपिक खेलों में रविवार का दिन भारत के लिये ऐतिहासिक बन गया. रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और विश्व चैंपियन छठी वरीय पीवी सिंधु ने चीन की आठवीं वरीय ही बिंग जियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से हराकर महिला सिंगल्स का कांस्य पदक जीता और ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं.
सिंधु के कांस्य पदक से भारत के टोक्यो ओलंपिक में पदकों की संख्या दो हो गयी है. इससे पहले भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने रजत पदक जीता था. भारत अभी पदक तालिका में संयुक्त 59वें स्थान पर है. सिंधु से पहले दिग्गज पहलवान सुशील कुमार बीजिंग 2008 खेलों में कांस्य और लंदन 2012 खेलों में रजत पदक जीतकर ओलंपिक में दो व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर पीवी सिंधु को बधाई दी. विश्व चैंपियन छठी वरीय पीवी सिंधु ने टोक्यो में चीन की आठवीं वरीय ही बिंग जियाओ को सीधे गेम में हराकर बैडमिंटन महिला एकल स्पर्धा का कांस्य पदक जीता और ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं. सिंधु की जीत पर पीएम मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, ‘पीवी सिंधु के शानदार प्रदर्शन से हम सभी उत्साहित हैं. वह भारत का गौरव हैं और हमारे सबसे उत्कृष्ट ओलंपियनों में से एक हैं.’
सिंधु ने कांस्य पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘मैं काफी खुश हूं क्योंकि मैंने इतने वर्षों तक कड़ी मेहनत की है. मेरे अंदर भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा था- मुझे खुश होना चाहिए कि मैंने कांस्य पदक जीता या दुखी होना चाहिए कि मैंने फाइनल में खेलने का मौका गंवा दिया.’’ उन्होंने कहा,‘‘मैं सातवें आसमान पर हूं. मैं इस लम्हें का पूरा लुत्फ उठाऊंगी. मेरे परिवार ने मेरे लिए कड़ी मेहनत की है और काफी प्रयास किए जिसके लिए मैं उनकी आभारी हूं.’’ बिंग जियाओ के खिलाफ 16 मैचों में यह सिंधु की सातवीं जीत है जबकि उन्हें नौ मुकाबले में शिकस्त झेलनी पड़ी. इस मुकाबले से पहले सिंधू ने बिंग जियाओ के खिलाफ पिछले पांच में से चार मुकाबले गंवाए थे. सिंधु को सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी.