अगर पर्याप्त वर्षा नहीं हुई और किसान धान की फसल नहीं बो पाए तो विकल्प के तौर पर वे मक्के की फसल लगा सकेंगे। इसके लिए उन्हें कम अवधि में तैयार होने वाले मक्के के बीच उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके लिए जिले के कृषि विभाग को मक्का के 225 क्विंटल बीज उपलब्ध करा दिए गए हैं। बीज का आवंटन कृषि विभाग के सचिव ने सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कार्यक्रम से पटना लौटने के बाद किया।
साथ ही उन्होंने जिले में धान की खेती की स्थिति देखने लिए बिहार स्टेट सीड एंड आर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी (BSSOCA) के निदेशक शंकर कुमार चौधरी को भागलपुर भेजा है।
बसोका के निदेशक ने क्या देखा?
बसोका के निदेशक ने रविवार को धान बहुतायत खेती होने वाले क्षेत्रों में से जगदीशपुर प्रखंड के बैजानी, खीरीबांध, साइनो, भवानीपुर देसरी आदि जगहों में जाकर धान की रोपनी की स्थिति देखी। इन इलाकों में धान की काफी कम रोपनी हुई है।
किसानों को क्या सलाह दी गई?
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे डीजल का अनुदान लेकर धान की रोपनी करें। अगर बाप-दादा के नाम पर जमीन है तो कृषि समन्वयक व मुखिया, सरपंच या पंचायत समिति सदस्य में किसी एक से लिखावाकर देने से डीजल अनुदान मिल जाएगा।
इसके बावजूद भी धान की रोपनी नहीं होती है तो विकल्प के तौर पर मक्के की फसल को लगाएं। मक्के की फसल होने के बाद रबी की फसल लगा सकते हैं।
बता दें कि बसोका के निदेशक सोमवार को (आज) कहलगांव इलाके के किसानों से मिलेंगे। किसानों को मक्के की खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे। बसोका निदेशक ने इस संबंध में कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की है।
जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव ने क्या बताया?
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव ने बताया कि जिन खेतों के आसपास पानी की व्यवस्था है, वहां के किसान पंपिंग सेट के माध्यम से रोपनी कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को डीजल अनुदान दिया जा रहा है। अगर किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं तो वे मक्के की खेती कर सकते हैं।