गरीबों के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितता का बोलबाला है। वार्ड स्तर पर भ्रष्टाचार सिर चढ़ कर बोल रहा है। हर गांव में ऐसे गरीब सामने आ जाएंगे जिन्हें रहने को झोपड़ी भी नसीब नहीं है पर उनका नाम इंदिरा आवास की प्रतीक्षा सूची में भी दर्ज नहीं हैं। नाम दर्ज कराने व पहली व दूसरी किस्त जारी कराने के लिए गरीबों से जमकर पैसे ऐंठे जा रहे हैं।
जहानाबाद जिले के सदर प्रखंड के सुरंगापुर भवानीचक पंचायत मे जिला पंचायत राज अधिकारी गुलाब हुसैन के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना की जांच की गई। जांच में व्यापक फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच में सामने आया कि पंचायत समिति सदस्य अखिलेश दास और इंदिरा आवास सहायक प्रमोद कुमार आवास योजना की प्रथम किस्त दिलाने के नाम पर 15,000 नाजायज राशि ले रहे हैं।
दूसरी किस्त दिलाने के नाम पर भी 10,000 मांग कर रहे हैं। बिना राशि लिए दूसरी किस्त के लिए अनुशंसा नहीं कर रहे हैं। जिला पंचायत राज पदाधिकारी ने आवास सहायक को परशुरामपुर एवं देवसी खंदा में जांच के लिए आवास सहायक को चलने के लिए कहा। लेकिन, आवास सहायक ने अनुशासनहीनता का परिचय देते हुए सूची देकर अपना मोबाइल बंद कर लिया।
डीपीआरओ की जांच में व्यापक फर्जीवाड़ा उजागर
जांच में पाया गया कि परशुरामपुर निवासी सोनू कुमार का पक्का मकान है। उन्हें पड़ोसी का निर्माणाधीन मकान दिखा कर योजना का लाभ दिया गया है। राकेश कुमार शास्त्री, समता देवी, पप्पू कुमार, शत्रुघ्न प्रसाद, शत्रुघन कुमार, रितु देवी, संजू देवी, रीना कुमारी का भी पक्का मकान है। फिर भी उन्हें लाभ दिया गया है। लीला देवी के परिवार के तीन सदस्यों को आवास का लाभ दिया गया है। जबकि पूर्व से इनका तीन कमरे का मकान है। उमेश सिंह को बिना कुछ काम कराए हुए दो किस्त का भुगतान कराया गया है। जबकि इनका पूर्व से पक्का मकान है। विकास कुमार, प्रीति देवी एवं कर्पूरी ठाकुर का भी पक्का मकान है पर उन्हें भी आवास का लाभ दिया गया है।
सूची में नाम के बाद भी नहीं मिला आवास
आवास योजना की प्रतीक्षा सूची के समय ही खेल शुरू हो जाता है। डीपीआरओ ने गांव में जाकर रियलिटी की जांच की गई तो पाया कि नीलम देवी पति दिशा मोहन ठाकुर एक योग्य लाभार्थी हैं। जिनके घर बरसात और धूप से भी सही से नहीं बचा जा सकता। उनका नाम सूची में रहने के बाद भी आवास योजना का लाभ नहीं दिया गया है। मोहन ठाकुर द्वारा बताया गया कि आवास सहायक प्रमोद कुमार के द्वारा पहले किस्त में 15,000 रुपए एवं उसके बाद प्रत्येक किस्त में 10,000 रुपए देने के बाद ही आवास देने को कहा जा रहा है। पैसा नहीं देने के कारण उन्हें लाभ नहीं दिया गया।