दीपावली के बाद से ही बिहार में क्या घर-क्या बाहर, हर जगह छठी मईया के गीत बजने लगे. कहीं शारदा सिन्हा, कहीं अनुराधा पौडवाल, कहीं कल्पना, तो कहीं कुमकुम के हिन्दी, भोजपुरी और मैथिली में छठी मईया के गीत बज रहे हैं. क्योंकि छठ आते ही लोगों के मुंह पर लोकगीत आने लगते हैं. लोकगीत सुनते ही हर किसी का रोम-रोम खड़ा हो उठता है. आपको बता दें कि छठ पर्व में महिलाएं अंगिका गीत को सुनना काफी पसंद करती हैं. आज हम आपको अंगिका भाषा की एक ऐसी ही लोक गायिका से मिलवा रहे हैं, जिनके गीत इनदिनों धूम मचा रहे हैं.
इसको लेकर जब भागलपुर की रहने वाली अंगिका की गायिका अर्पिता चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि बचपन से ही गाने का शौक था. पहले पिता गायक बनना चाहते थे, लेकिन वह नहीं बन पाए. तभी पापा की चाहत हुई कि मैं गायिका बनूं. लेकिन इसके साथ ही पापा ने बताया कि अपने लोकल भाषा को आगे बढ़ाना है. तभी मैंने अंगिका को चुना और अंगिका में गीतों को गाना शुरू किया.
इंग्लिश से ग्रेजुएशन कर रही अर्पिता
अर्पिता बताती हैं कि आमतौर पर लोग अंगिका मतलब ठेठ की भाषा समझते हैं. लेकिन मैं इंग्लिश से ग्रेजुएशन कर रही हूं. इसके साथ ही संगीत से भी पढ़ाई शुरू है. पापा ने इसके लिए मुझे हारमोनियम भी गिफ्ट किया. मुझे लगता है कि लोगों को धीरे-धोरे अपने अंग की भाषा को सीखना चाहिए. इसलिए मैंने अंगिका को चुना और इसमें ही गाने लगी. अब लोग भी पसंद करने लगे हैं. वह बताती हैं कि जिन्होंने पहले मुझे अंगिका बोलने पर गंवार भी कहा, वे अब भाषा को समझकर सराहा भी रहे हैं.