Patna: अगर इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और मन में दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है. आज हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी के बारे में बताएंगे जिन्होंने असफलता को ही असफल बना दिया. परिवार की आर्थिक परिस्थितयों से जूझते हुए इस अवसत स्टूडेंट ने यूपीएससी की परीक्षा में टॉप किया. इस आईएएस अधिकारी का नाम जुनैद अहमद है. इन्होंने चार प्रयासों में असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी और ना केवल यूपीएससी की परीक्षा को पास किया बल्कि उसमें सर्वोच्च रैंक भी हासिल की.
आईएएस जुनैद अहमद ने यूपीएससी सिविल सर्विसेज जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करके लोगों के मन में व्याप्त उस धारणा को भी तोड़ा है जिसमें यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए बचपन से ही इंटेलीजेंट होना जरूरी समझा जाता है. उनका मानना है कि अगर आप एक अवसत स्टूडेंट है और आप में कुछ कर गुजरने का जुनून है तो आप भी इस परीक्षा में सफलता हासिल कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि जुनैद अहमद से आईएएस जुनैद अहमद बनने के उनके सफर के बारे में.
जुनैद अहमद उत्तरप्रदेश के बिजनौर के नगीना कस्बे के रहने वाले हैं. जुनैद के पिता का नाम जावेद हुसैन है और माता का नामा आयशा रजा है. पिता जिला अदालत में वकालत करते हैं और मां घर संभालती हैं. इनकी शुरुआती पढ़ाई इनके पैतृक गांव में हुई. बेसिक एजुकेशन के बाद उच्च शिक्षा के लिए जुनैद ने इलाहाबाद मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया. पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए इग्नू(ओपन यूनिवर्सिटी) को चुना और अपनी पढ़ाई पूरी की. जुनैद अहमद ने एक साक्षात्कार में बताया था कि वो पढ़ाई में काफी तेज नहीं थें. इन्होंने अपनी पूरी शिक्षा के दौरान कभी 60 फीसद से ज्यादा अंक हासिल नहीं किए. पढ़ाई पूरी करने के बाद जुनैद ने आईएएस बनने का विचार किया.
उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने की ठानी और जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के रेजिडेंशियल यूपीएससी कोचिंग को ज्वाइन कर लिया. यहां पर इन्हें रहने और खाने की सुविधा फ्री में दी जाती थी. जुनैद कहते हैं कि यहीं से उनके मन में इस परीक्षा को पास करने का जज्बा आया और तभी से यह इसके प्रति गंभीर हुए और तैयारी करने में जुट गए। हालांकि जिस दौरान वो यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे उस समय लोगों ने उन्हें यूपीएससी ना करने की सलाह दी. दरअसल जुनैद से लोग कहते थे कि 60 प्रतिशत वाला कोई औसत छात्र आईएएस नहीं बन सकता है. आईएएस बनने के लिए बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज होना चाहिए.
जुनैद अहमद के परिवार से कोई भी शख्स प्रशासनिक सेवाओं में नहीं था. ऐसे में यूपीएससी परीक्षा को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. जुनैद ने इंटरनेट की मदद से यूपीएससी की बेसिक जानकारी और सक्सेसफुल लोगों के बारे में पढ़ना शुरु कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने इस परीक्षा की तैयारी में खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया. साल 2013 में जब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरु की तो परिवार ने उनका पूरा सपोर्ट किया. जुनैद रोज सुबह पांच बजे से उठकर पढ़ाई करने लगते थे.
फिर वो दोपहर 11-12 बजे तक पढ़ाई करते थे. वो बताते हैं कि शुरुआती दिनों में अवसत 9-10 घंटे पढ़ाई करते थे. जुनैद बताते हैं उनका बेसिक क्लियर नहीं था. इसलिए उन्होंने शुरुआत में 8-10 घंटे की पढ़ाई की. बेसिक समझ में आने के बाद उन्होंने तैयारी का समय घटाकर 4 घंटे तक कर दिया. उनका मानना है कि यूपीएससी की तैयारी ध्यान लगाकर की जाए तो सफलता जरूर हासिल होती है.
जुनैद अहमद को साल 2019 की सिविल सर्विसेज को 5वीं बार में सफलता हासिल हुई. इन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा के 5 बार प्रयास किया जिसमें से तीन प्रयासों में इन्हें किसी भी प्रकार की सफलता नहीं मिली. फिर चौथे प्रयास में इन्होंने 352वी रैंक हासिल की और इन्हें आईआरएस का पद हासिल कर लिया. लेकिन आईआरएस बनने तक ही ये सीमित नहीं रहे. इन्होंने फिर से साल 2019 में प्रयास किया. इस बार इन्हें यूपीएससी में सफलता हासिल हुई और आईएएस अधिकारी बन गए. साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा में जुनैद ने तीसरी रैंक हासिल की. उनकी इस सफलता से माता पिता बहुत खुश हुए.
जुनैद ने उन लोगों के लिए एक उदाहरण पेश किया है जो ये सोचते हैं कि यूपीएससी परीक्षा सिर्फ बचपन से टॉपर स्टूडेंट की क्रैक कर सकते हैं. इसके अलावा जुनैद सोशल मीडिया और इंटरनेट के उपयोग को लेकर भी अलग राय रखते हैं. उनका मानना है कि अगर सोशल मीडिया और इंटरनेट का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो हम वहां से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं. अपनी मेहनत और लगन से सफलता हासिल करने वाले जुनैद आज यूपीएससी की तैयारी करने वाले लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.