बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) के कार्यक्रम को लेकर पटना के नौबतपुर के तरेत पाली में जोर शोर से तैयारी चल रही है. एक तरफ बिहार में बाबा के इस कार्यक्रम को लेकर कहीं विरोध हो रहा है तो कहीं खुलकर समर्थन मिल रहा है. इन सबके बीच कई ऐसे भक्त हैं जो इन सबसे दूर बाबा के दरबार में इसलिए जाना चाहते हैं कि वह यह देख सकें कि बागेश्वर सरकार कैसे पर्चा निकालते हैं. कई लोगों के मन में यह भी सवाल है कि आखिर किसका पर्चा निकलेगा? कौन शामिल हो सकता है. जानिए ऐसे सवालों के जवाब.
कितने बजे से हनुमत कथा होगी?
13 मई से 17 मई तक यानी पांच दिवसीय यह कार्यक्रम होना है. शाम के चार बजे से लेकर सात बजे तक हनुमत कथा होगी.
किस दिन लगेगा दिव्य दरबार?
13 मई से कार्यक्रम होना है. 15 मई को बाबा का दिव्य दरबार लगेगा. इसी दिन बाबा भीड़ से किसी को बुला सकते हैं. उसके बारे में बता सकते हैं.
दरबार में किसकी लगेगी अर्जी?
बाबा के भक्तों की सबसे बड़ी इच्छा होती है कि वह अपने बारे में जान सकें. कई लोग इसी के लिए पहुंचेंगे लेकिन सवाल है कि किसकी अर्जी लगेगी? बताया जा रहा है कि दरबार में उसी की अर्जी लगेगी जिस पर श्री बालाजी यानी हनुमान जी कृपा होगी. जो सच्चे मन से भगवान हनुमान को मानता हो. आस्था रखता हो.
कौन हो सकता है शामिल?
अर्जी लगाने के लिए कुछ नहीं करना है. आपको दरबार में 15 मई को जाना है. भीड़ से ही बाबा किसी का नाम लेकर बुला सकते हैं. बाबा से वन टू वन मिलने का और कोई जरिया नहीं है.
सात बजे के बाद चलेगा लंगर
बता दें कि तरेत पाली में करीब 30 एकड़ में कथा स्थल को तैयार किया जा रहा है. तीन लाख वर्ग फीट में पंडाल का निर्माण हो रहा है. चार बजे से लेकर सात बजे तक कथा होगी तो वहीं सात बजे के बाद लंगर चलेगा. आयोजक और पुलिस प्रशासन की टीम लगातार इसमें जुटी है कि कैसे कार्यक्रम को सफल बनाया जाए. भीड़ को कैसे नियंत्रित किया जाए आदि तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए तैयारी की जा रही है.
बता दें कि दिव्य दरबार में बाबा पर्चा निकालते हैं. मंच से बैठे-बैठे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भीड़ से किसी को बुला लेते हैं. इसके बाद उस व्यक्ति के बारे में सारी बातें बताने लगते हैं. इसके साथ ही उसके मन में उठ रहे सवाल और उसका जवाब भी सुनाते हैं. बिहार में पहली बार आ रहे हैं इसलिए भक्तों के भीड़ उमड़ने की पूरी उम्मीद है.