निजी विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली किताबों की कीमतों में इस वर्ष 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इससे अभिभावकों को किताबों की खरीदारी करने में पसीने छूट रहे हैं। वहीं, प्रकाशक या स्कूल प्रबंधन एक रुपये की छूट देने को तैयार नहीं हैं। राजधानी के एक प्रतिष्ठित स्कूल की कक्षा चौथी के बच्चों के लिए किताब-कापी की कीमत पांच हजार से ज्यादा हो रही है
सौ रुपये की किताब 500 की
पटना के निजी स्कूल अभिभावक संघ के अध्यक्ष राकेश राय का कहना है कि पुस्तकों की बिक्री के नाम पर लूट है। सौ रुपये की किताब 500 में बेची जा रही है। जल्द ही इस संबंध में अभिभावकों का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी से मुलाकात करेगा। संघ का आग्रह है कि सरकार निजी स्कूलों को एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाने का आदेश जारी करे। महंगी पुस्तक बिक्री करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण किताबें शामिल हों
बिहार पब्लिक स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. डीके सिंह ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो वर्षों से स्कूलों के साथ-साथ अभिभावकों की भी आर्थिक स्थिति काफी खराब हुई है। ऐसे में स्कूलों को सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण किताबें ही लगानी चाहिए। महंगी किताबें गरीब बच्चों के लिए परेशानी पैदा करती है। ऐसे में स्कूलों को विचार करने की जरूरत है ताकि अभिभावकों को परेशानी नहीं हो।