पटना हाईकोर्ट ने राजधानी पटना में शौचालयों की बदतर स्थिति और अतिक्रमण पर सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए जवाब मांगा है। पटना हाईकोर्ट ने सरकार से सभी शौचालयों की फोटो और वीडियो के साथ रिपोर्ट पेश करने के लिए 24 सितंबर तक का समय दिया है। सरकार लंबे समय से पटना जिले के शौचालयों की बदतर स्थिति पर कोर्ट में जवाब देने में विफल रही है। चीफ जस्टिस मुकेश आर. शाह और जस्टिस डॉक्टर रवि रंजन की खंडपीठ ने जब सरकार से शौचालयों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी तो एक बार फिर सरकार के वकील ने हाथ खड़े कर दिए और समय देने का अनुरोध किया। इसके बाद कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि अब और समय नहीं दिया जा सकता। 24 सितंबर तक या तो जवाब दाखिल करें या फिर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।
इस मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट मणि भूषण प्रताप सिंह ने कहा कि कोर्ट ने सरकार के अधिकारियों और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर को इंदौर विजिट करने की सलाह दी है और यह देखने को कहा है कि कैसे वहां शौचालय की सफाई होती है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्यों आप पटना को साफ नहीं करना चाहते।इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि जब शौचालयों की सफाई के लिए इतना फंड आता है तो फिर ऐसी बुरी स्थिति क्यों है? कोर्ट ने कहा कि केवल चालू होने से नहीं होता बल्कि कंडीशन अच्छी होनी चाहिए।
वहीं पटना हाई कोर्ट ने राजधानी पटना की अंदरूनी सड़क की कम होती चौड़ाई पर दायर जनहित याचिका को सुनते हुए ज़िला प्रशासन, नगर निगम और साउथ बिहार स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी से जवाब-तलब किया है।चीफ जस्टिस मुकेश आर. शाह की खंडपीठ ने शालिनी बिहारी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई है। याचिकाकर्ता की वकील अर्चना शाही ने कोर्ट को बताया कि कदमकुआं पार्क रोड से बाकरगंज रोड जाने वाली 35 फीट की अंदरूनी सड़क की चौड़ाई अतिक्रमण की वजह से घट कर महज़ 15 फीट रह गई है।बिजली सामान और अवैध पार्किंग के लिए सड़क के दोनों फ्लैंक पर अतिक्रमण कर लिया गया है। नगर निगम वहां के आवासीयों से सड़क का टैक्स लेती है लेकिन नागरिक सुविधा के नाम पर तंग गलियां मिलती हैं। ऊपर से सड़क पर नाले का पानी बहता रहता है। हाईकोर्ट ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए नगर निगम को 11 सितम्बर तक जवाब देने का आदेश दिया है।