शहर हो गांव हर जगह छठ की आभा फैल रही है। गंगा किनारे से बाजार और घर तक को स्वच्छ करने में लोग लगे हुए हैं। पूरा शहर अध्यात्म में डूबा हुआ है। मन में उद्गार उठ रहे हैं।
महापर्व में किसी ने किसी रूप में सहयोग करने की ललक दिख रही है। भागलपुर शहर में दर्जन भर घाट बनाए गए हैं। दर्जन भर से ज्यादा तालाब के साथ-साथ कृत्रिम तालाबों में भागवान भाष्कर को अर्घ्य डाले जाएंगे।
सामूहिकता का देता है संदेश
महापर्व छठ परिवार की कड़ी को जोड़ सामूहिकता का संदेश देता है। विनम्रता से अपनत्व का अहसास होता है। कई परिवार में एक वयोवृद्ध छठ व्रती होती हैं।
चाहे कितना भी मनमुटाव हो लोक आस्था के इस महापर्व में सभी एक जगह मिल बैठ पर्व करते हैं। सभी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं।
अपनत्व का देता है अहसास
संयुक्त परिवार के सदस्य ही नहीं आस-पड़ोस के लोग भी इसमें शामिल होते हैं। व्रती को प्रणाम करते हैं। विनम्रता इतनी होती है कि उससे अपनत्व का अहसास होता है।
इस महापर्व में हर एक दूरियां मिट जाती हैं। गिल-शिकवे भी दूर हो जाते हैं। इसी तरह के परिदृश्य में सूर्य देव की उपासना का यह पर्व होता है। सभी लोग श्रद्धा के साथ मंगलकामना करते हैं।
सृष्टि का महापर्व है छठ
छठ लोक पर्व प्रकृति पर्व भर नहीं है, यह सृष्टि का महापर्व है। इस पर्व में लोग परिवार के साथ खेती-किसानी, फल-फूल, नदी-जलाशय, सुग्गा-चिरई, पास-पड़ोस सब शामिल हैं।
परिवार की महत्ता के साथ सामूहिकता का संदेश छठ पर्व देता है। अर्थात यूं कहें कि यह महापर्व परिवार को जोड़ने की अमृत्त संस्कृति है।