गैंग्स ऑफ वासेपुर, फुकरे और नील बटे सन्नाटा में अपनी दमदार भूमिका निभाने वाले पंकज त्रिपाठी बिहार के गोपालगंज के बेलसंड के रहने वाले हैं। यह कहा जाता है कि फिल्मों में भूमिका की लंबाई उनके लिये मायने नहीं रखता हैं।
पंकज त्रिपाठी ने कहा कि मेरा यह सफर काफी इंटेरेस्टिंग है। सपनों से भरा यह सफर हैं। एक ऐसे गांव से निकल कर मुबई पहुंचना जहां आज भी बिजली और सड़क नहीं है। इस सफर में कई चुनौतियां सामने आईं।
चुंकि बिहारियों में एक जज्बा होता कि वो आसानी से हार नहीं मानते हैं। उसी जज्बे ने हमे टिकाये रखा और लोग अब मानने लगे कि मैं ठीक ठाक एक्टिंग कर लेता हूं।

उन्होंने कहा कि मैंने गांव में कोई थियेटर नहीं किया। दसवीं कक्षा तक सिनेमा हॉल देखा नहीं था। जब पटना पहुंचा तो पहली बार संजय दत्त की फिल्म सड़क देखी थी।
इस फिल्म को देखने के लिए रीजेंट सिनेमा में ब्लैक टिकट खरीदने के चक्कर में लाठी भी खानी पड़ी थी। पटना में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान थियेटर देखने और फिर करने लगा।

पंकज के अनुसार अपने कमरे में दोपहर सोया था और तभी किसी ने कहा कि उठो श्रीदेवी फिल्म बना रही है और तुमको रोल करना है। 10 मिनट पहले जागा और रोल करके आ गया।
उस रोल को लोगों ने काफी सराहा। फुकरे, अग्निपथ, नील बटे सन्नाटा में भूमिका के बाद लोग मेरी नोटिस लेने लगे।