मुखिया को विधायक बनते हुए आपने कई बार सुना होगा…ये भी सुना होगा कि कोई वार्ड पार्षद विधायक बन गया…भारत की राजनीति के इतिहास में सैकड़ों ऐसे उदाहरण आपको मिल जाएंगे जब पंचायत स्तर का चुनाव जीतने वाले ने मंत्री तक का सफर तय किया है।
लेकिन आज हम आपको जिस शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं उनका राजनीतिक सफर कुछ अजीबोगरीब है। सीवान के गोरेयाकांठी गांव के रहने वाले अजित कुमार सिंह उर्फ मोहन बाबू ने इस बार मुखिया का चुनाव जीता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि मोहन बाबू की कहानी में ऐसा क्या खास है तो अब आप जान लीजिए कि मोहन बाबू दो बार विधायक रह चुके हैं और 5 साल के लिए बिहार सरकार में राज्य मंत्री भी थे। मोहन बाबू का मंत्री से मुखिया तक का सफर काफी रोचक है।
मोहन बाबू ने पहली बार 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। बताया जाता है कि मोहन बाबु ने उस चुनाव में अपने दादा एवं पूर्व शिक्षा मंत्री कृष्णकांत सिंह को 40 हजार वोटों से हराया था।