बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई महासचिव डी राजा से भी मुलाकात की। बताया जा रहा है कि वाम दल सीधे तौर पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में शामिल हो सकते हैं। मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएम), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) और सीपीआई (माले) के विधायकों को भी मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है।
तीनों वामदल अब महागठबंधन की सरकार में भी शामिल होने का मन बना रहे हैं। इससे पहले ये अपने घटक दलों के साथ मूलभूत नीतियों में विभेद को लेकर सरकार में शामिल नहीं होने की बात कह रहे थे। इन्होंने सिर्फ बाहर से सरकार का समर्थन करने की बात कही थी। परंतु अब वामदलों के अंदर से यह बात सामने आ रही है कि इनकी सरकार में शामिल होने की पूरी संभावना है। इस बार यह पेशकश महागठबंधन के अन्य दलों ने भी इनसे की है।
इस मुद्दे पर इनकी अब महागठबंधन के घटक दलों से बातचीत का दौर शुरू हो गया है। अगर ऐसा होता है, तो यह पहला मौका होगा जब सरकार में वामदल के भी मंत्री बनेंगे। माले विधायक महबूब आलम बताते हैं कि सरकार में इस बार शामिल होने को पार्टी में सहमति बन रही है। माले के 12 विधायक हैं, ऐसे में जनता की समस्याओं को मजबूती से उठाने के लिए इनका सरकार में शामिल होना जरूरी है।
सीपीआई और सीपीएम के सूत्रों के मुताबिक इन दोनों दलों में भी सरकार में शामिल होने को लेकर सहमति बन रही है। तीनों वामदलों के पास 16 सीटें हैं। ऐसे में इनके पाले से अधिकतम चार मंत्री पद जा सकते हैं। लेकिन यह अहम होगा कि इनकी घटक दलों के साथ कितने सीटों पर सहमति बन पाती है। फिलहाल वामदलों ने मंत्री पद को लेकर भी बातचीत शुरू कर दी है। 16 अगस्त के पहले तक सभी वामदलों की सहमति बन जाने की संभावना है।