बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस निर्णय से काफी नाराज हैं जिसमें विभाग द्वारा किए गए ट्रांसफर को रद्द कर दिया गया है। मंत्री ने 149 सीओ का ट्रांसफर रद्द किया जाने के मसले पर शनिवार को प्रतिक्रिया दी। रामसूरत राय ने कहा कि उनके विभाग में भू-माफियाओं की चलती है। भू-माफिया वे जो चाहते हैं, वही करवाते हैं। अगर उनकी बात मान लेते, तो ट्रांसफर की अधिसूचना रद्द नहीं होती।
मंत्री ने कहा कि ये माफिया और भ्रष्टाचारी मुझे बदनाम करना चाहते हैं और नहीं चाहते कि मैं मंत्री बना रहूं। ऐसी स्थिति में अगर मंत्री स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकता तो मंत्री बने रहने से क्या फायदा है। मेरे मंत्री बने रहने का औचित्य नहीं है।
रामसूरत राय ने कहा कि विधायकों की अनुशंसा का सम्मान रखते हुए 80 सीओ का ट्रांसफर किया। अगर यह गलत है, तो मैं गलत हूं। हालांकि मंत्री ने माना कि कुछ ट्रांसफर भूलवश ऐसे भी हुए हैं, जो दो साल से कम हैं। इसे सुधार लिया जायेगा। कई लोगों की गिद्ध नजर जमीन पर रहती है। ऐसे माफिया लोग नहीं चाहते कि विभाग में कोई सुधार हो।
दरअसल, पिछले 30 जून को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने बड़ी संख्या में अधिकारियों का ट्रांसफर किया था जिसमें 80 सीओ शामिल थे। कुछ ऐसे तबादले भी हो गए थे जिनका दो साल भी पूरा नहीं हुआ था। ट्रांसफर आदेश के दो दिन बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से रोक लगा दी गई। सीएम ऑफिस के इस आदेश से मंत्री रामसूरत राय की जमकर किरकिरी हुई जिससे मंत्री रामसूरत राय खफा हुए। रामसूसत राय ने कहा कि वे इस निर्णय से आहत हैं। लेकिन मुख्यमंत्री सरकार के मुखिया होते हैं। इसलिए उनके निर्णय को मानना उनका धर्म है। इसबीच मंत्री ने यह भी कहा कि अब जनता दरबार नहीं लगाएंगे। जनता को जहां और जिनके पास जाना है वहां जाएं।
एक सवाल के उत्तर में मंत्री ने कहा कि भाजपा के विधायक किसी के दवाब में काम नहीं करते हैं। 30 जून को ट्रांसफर का अधिकार मंत्री का होता है। अन्य दिनों में ट्रांसफर सीएम करते हैं। लेकिन यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वे किसी फैसले की समीक्षा करें।