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नितीश के इस फैसले से सब हैरान, नहीं थी किसी को उम्मीद

कही-सुनी

बिहार की राजनीति में हाल ही में इतना बड़ा फेरबदल बदल हुआ है जिसके बारे में कांग्रेस सपने में भी नहीं सोच सकती थी. नीतीश कुमार ने भ्रष्ट लालू और कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिला साबित कर दिया है कि वो भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ है और कांग्रेस से अच्छी राजनीति करना जानते है.

नीतीश ने हाल ही में अली अनवर जो पार्टी के बड़े नेता थे उनको पार्टी लाइन से बाहर जाने की वजह से पार्टी से बाहर निकाल दिया था,लेकिन अब उससे भी हाहाकारी कदम नितीश कुमार उठा रहे हैं !

अब जो बड़ी खबर आ रही है उसने बिहार में भूचाल ला दिया है.जनता दल यूनाइटेड में बागियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है. इसी क्रम में जेडीयू ने पूर्व मंत्री रमई राम और पूर्व सांसद अर्जुन राय समेत 21 बागियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.लेकिन अब जो काम नितीश करने वाले हैं और जिसकी तैयारी नितीश ने कर ली है वो सबसे बड़ा झटका है कांग्रेस और लालू के लिए.

मोदी भी नितीश के इस फैसले से हैरान रह गए क्योंकि नितीश के खास दोस्त और पार्टी के बड़े नेता है शरद यादव.नितीश कुमार अब पार्टी के दुसरे बड़े नेता शरद यादव को पार्टी से बाहर निकालने जा रहे हैं.शरद यादव नितीश के बीजेपी के साथ जाने के विरोध में थे.

लेकिन नितीश कुमार ने साफ़ कर दिया की जो भर्स्ट लोगों के साथ रहना चाहता हैं में उनका साथ कभी नहीं दे सकता.नितीश के इस बड़े फैसले ने दिखा दिया नितीश के इमानदार आदमी हैं जो कोई भी कड़ा निर्णय लेने का दम रखते हैं.

कांग्रेस से लेकर लालू तक ने ये सोचा था शरद के आगे नितीश झुक जाएंगे लेकिन नितीश ने उनके सारे सपनों पर पानी फेर दिया और आने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर अकेले ही विपक्ष को फाड़ दिया.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बागी तेवर अपना चुके जेडीयू नेता शरद यादव को पार्टी से निकालने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद शरद यादव को पार्टी और उच्च सदन से निकालने की शुरुआत कर दी है. त्यागी ने लिखित में शरद यादव की चिट्ठी सौंपी है.

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बता दें कि जेडीयू में शरद यादव के पक्ष में 14 राज्यों के अध्यक्षों ने पत्र के माध्यम से निष्ठा जताई है. उनके साथ अली अनवर और एक अन्य राज्यसभा सांसद भी हैं. वहीं, पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को केवल बिहार इकाई का समर्थन हासिल है. नीतीश कुमार के पास अभी भी है बहुमत.

बताते चलें नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यह कहते हुए यादव से सुलह की गुंजाइश को परोक्ष रूप से खत्म कर दिया था कि वह कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि बीजेपी के साथ गठबंधन का फैसला पूरी पार्टी का था !

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