पूजा के बासी-बेकार फूलों से अगरबत्तियां बना खड़ा किया कारोबार, दिया कई लोगों को रोज़गार

सच्चा हिंदुस्तानी

मंदिरों, तीर्थस्थलों पर चाढ़ाए जाने के बाद बेकार समझ कर फेंक दिये जाने वाले फूलों से निखिल गम्पा बना रहे हैं हर महीने 60-70 किलो तक अगरबत्तियां…

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएट निखिल गम्पा अपने नाम एक अनोखी कामयाबी दर्ज करा चुके हैं। उनका स्टार्टअप किसी को चौंकाता ही नहीं, बल्कि प्रोत्साहित और ताकीद भी करता है कि कोई इस तरह का प्रयोग करके बी लाखों में एक शुमार हो सकता है!

निखिल के चौकन्ना दिमाग ने उस चीज को अपनी आय के स्रोत और तमाम महिलाओं के लिए रोजगार में तब्दील कर लिया, जो मंदिरों, तीर्थस्थलों पर चढ़ाए जाने के बाद प्रतिदिन टन मात्रा में कचरे की तरह फेंक दिया जाता है।

 

पहले निखिल को अपना आइडिया आध्यात्मिक दृष्टि से अनुचित लगा, लेकिन उसी क्षण उनके दिमाग में एक पल के लिए ऐसा आइडिया कौंधा, जिससे भविष्य की एक बड़ी योजना ने मन ही मन उनके भीतर आकार ले लिया।

डस्टबीन्स में जमा किए पूजा के बासी फूलों से वह हर महीने लगभग साठ-सत्तर किलो अगरबत्तियां बना रहे हैं। सुखद है कि अगरबत्तियां भी पूजा के ही काम आती हैं।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएट निखिल गम्पा अपने स्टार्टअप ‘ग्रीन वेव’ नाम से एक ऐसी कामयाबी दर्ज करा चुके हैं, जो किसी को चौंकाती ही नहीं, बल्कि प्रोत्साहित और ताकीद भी करती है कि कोई इस तरह का प्रयोग करके लाखों में ‘एक’ शुमार हो सकता है। 

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