पटना: 10वीं, 12वीं के बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट आज आएगा। रिजल्ट को लेकर छात्रों में घबराहट रहती है मार्क्स कितने मिले होंगे। परसेंटेज अच्छी बनेगी या नहीं। कई बच्चों के अभिभावक चिंतित होंगे। रिजल्ट बिगड़ने और परसेंटेज कम आने का मतलब यह नहीं कि जीवन यहीं ठहर गया।
छात्रों और अभिभावकों के लिए ‘मार्क्स से ज्यादा प्यारे हैं वो’ अभियान शुरू किया है। इसके जरिए हम आपको बता रहे हैं मुरैना के जौरा में बिलगांव निवासी मनोज कुमार शर्मा के बारे में, जो पढ़ाई में सामान्य थे। 9वीं, 10वीं और 11वीं में थर्ड डिवीजन में पास हुए। 12वीं (गणित) में फेल हुए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मार्क्स और परसेंटेज को तवज्जो देने के बजाए सफलता पर ध्यान दिया। मुरैना का यही छात्र आईपीएस बना और अब मुंबई नॉर्थ के डीसीपी हैं।
परीक्षा में फेल होना तो एक मौका मीडिया से बातचीत में डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि मैं गांव का औसत छात्र था। थर्ड डिवीजन में पास होता तो सब मुझे अलग नजर से देखते थे। 12वीं में फेल हुआ तो लोगों ने सोचा होगा कि अब इसका कुछ नहीं हो सकता। डॉ शर्मा कहते हैं, लेकिन उन्होंने मार्क्सशीट में कम मार्क्स, कम परसेंटेज और लोगों की बातों पर कभी ध्यान नहीं दिया, बल्कि इसे एक चुनौती के तौर पर लिया। 12वीं गणित में फेल होने के बाद पढ़ने के लिए मुरैना से ग्वालियर आया। 12वीं के बाद ग्वालियर के एमएलबी कॉलेज से बीए किया।
आर्ट विषय लिया तो समझ आया कि यह तो बहुत अच्छे से कर पा रहा हूं। इसके बाद तो यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप ली। पीएचडी की डिग्री हासिल की। श्री शर्मा का कहना फेल होना तो जैसे एक मौके जैसा है। आप मन में ठान लें कि अब मुझे समाज को जवाब देना है। दिल से मेहनत करें। सफलता जरूर मिलेगी और यही आपका जवाब होगा। यूपीएससी में 122वीं रेंक आई डॉ. शर्मा वर्ष 2005 में अखिल भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा के जरिए आईपीएस चुने गए। डॉ शर्मा की देशभर में 122वीं रेंक आई थी।
डीसीपी डॉ. शर्मा कहते हैं कि अगर मैं गणित से 12वीं में पास हो गया होता तो शायद बीएससी करता और कहीं, छोटीमोटी जॉब में लग गया होता। गणित छोड़कर आर्ट चुना और अब देश के उस मुंबई नॉर्थ का डीसीपी हूं, जहां गेट वे ऑफ इंडिया है। मरीन ड्राइव, शेयर मार्केट, मंत्रालय है। ताज होटल है। सीएसटी है। पूरा मुंबई यहीं से चलता है। जीवन में एक बार दिल से मेहनत जरूर करें डॉ. शर्मा का कहना है फेल होने से कुछ नहीं होता है। फेल होने के बाद हम रिव्यू कर सकते हैं। अपनी ताकत पहचानें। गांव का होना आपकी ताकत है। जीवन में एक बार दिल से मेहनत जरूरत करें। इसलिए फेल-पास या कम मार्क्स आने पर घबराएं नहीं, बल्कि दिल से मेहनत कर अपनी सफलता से समाज को जवाब दें।
भिंड के छात्रों को दे चुके हैं मोटिवेशन –
डॉ. मनोज कुमार शर्मा को कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी और तत्कालीन एसपी नवनीत भसीन ने संकल्प कोचिंग के छात्रों को पढ़ाने के लिए बुलाया था। वर्ष 2016 में डॉ. शर्मा ने शहर के एमजेएस कॉलेज में संचालित संकल्प कोचिंग में छात्रों को मोटिवेट किया था कि वे मार्क्स के पीछे नहीं भागे, बल्कि लक्ष्य निर्धारित करके मेहनत करें सफलता जरूर मिलेगी।
सामान्य छात्र रहे, अब प्रदेश के टॉप टेन सूबेदार –
हमारे भिंड शहर में ट्रैफिक प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे सूबेदार दीपक साहू भी पढ़ाई के दिनों में सामान्य छात्र रहे। दीपक साहू ने वर्ष 1999 में हाईस्कूल की परीक्षा 52 फीसदी अंक से पास की। 2001 में 12वीं में 58 फीसदी अंक आए। 2005 से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की। 2008 में मध्यप्रदेश पुलिस में आरक्षक के पद पर चुने गए। 2011 में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा दी तो महज 2 अंक से चूक गए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और 2012 में सूबेदार के पद पर चयनित हुए और प्रदेश के टॉप टेन में नाम आया। ट्रैफिक प्रभारी दीपक साहू कहते हैं परीक्षा में पास-फेल होने और मार्क्स कम आने पर ध्यान नहीं दें, न इससे घबराएं, बल्कि फिर से तैयारी करें। सफलता जरूरत मिलेगी।