बर्थडे पर अभिषेक को अमेजन से मिला 1.08 करोड़ पैकेज का ‘अमेजिंग ऑफर’, तोड़ा पटना एनआईटी का 18 साल का रिकॉर्ड

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मिलती गई सफलता तो बड़ा होता गया अभिषेक का सपना। जमुई जिले के झाझा के एक छोटे से गांव जामू के रहने वाले अभिषेक अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी अमेजन से मिले 1.08 करोड़ रुपए के बंपर पैकेज को अपने जन्मदिन का उपहार मान रहे हैं। अभिषेक ने बताया कि कोटा में पहले साल की असफलता के बाद दूसरे प्रयास में जेईई में सफलता पाई। इसके बाद पटना स्थित एनआईटी में कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया। उस समय अभिषेक को उम्मीद थी कि 10-12 लाख का पैकेज मिल जाएगा। इसी बीच अगस्त 2021 में उसे पेटीएम से 16 लाख के पैकेज का ऑफर मिला।

उन्होंने बताया कि एनआईटी में सेकेंड ईयर के दौरान ही वह कोडिंग की ऑनलाइन प्रैक्टिस पर फोकस करने लगा था। विभिन्न वेबसाइटों पर जाकर कोडिंग के प्रॉब्लम्स सुलझाने के साथ-साथ ही प्रोजेक्ट भी बनाने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि 14 दिसंबर 2021 को आमेजन के कोडिंग स्क्रीनिंग टेस्ट में वह क्वालीफाई हो गया। फिर 13 अप्रैल को एक-एक घंटे के तीन इंटरव्यू हुए। इंटरव्यू तो संतुष्टिजनक था लेकिन मन में डर भी था। लेकिन जब गुरुवार को ऑफर लेटर मिला तो यकीन हो गया कि मेहनत तथा लक्ष्य के प्रति एकाग्रता की बदौलत कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।

अभिषेक अपनी सफलता के लिए माता-पिता और गुरुजनों के अलावा अपने करीबी रिश्तेदारों जैसे संजीव कुमार यादव, सुभाष यादव, जयदेव और नारायण यादव तथा बड़े भाई अमित का आभार जताते हैं, जिनके मार्गदर्शन और हौसलाअफजाई ने उनको आगे बढ़ने में हमेशा संबल दिया। वहीं मां मंजू कुमारी ने बताया कि जो ज्ञान उन्हें उनकी मां ने दिया था वही उन्होंने अपनी दोनों संतानों को दिया है।

तोड़ा बिहार एनआईटी का 18 सालों का रिकॉर्ड

अभिषेक की मानें तो उसकी यह सफलता बिहार एनआईटी की रिकॉर्ड ब्रेकर साबित हुई है। बकौल अभिषेक, पटना एनआईटी के 18 सालों के इतिहास में करोड़ प्लस का पैकेज इस वर्ष से पूर्व किसी को नहीं मिला था। उन्होंने बताया कि इसी साल एक छात्रा को लंदन में 1.06 करोड़ का तथा अब उसे 1.08 करोड़ का पैकेज मिला है। बता दें कि सोमवार 25 अप्रैल को इस होनहार का जन्मदिन भी है। ऐसे में परिवार से लेकर तमाम शुभचिंतक तक अमेजन की तरफ से मिले इस ऑफर को अमेजिंग बर्थडे गिफ्ट मान रहे हैं।

झाझा के एक छोटे गांव जामू से जर्मनी तक पहुंचा

झाझा के एक छोटे से गांव जामू में जन्मे अभिषेक का जर्मनी तक का सफर बड़ा ही मुश्किलों भरा रहा है। झाझा के सारडॉनक्सि स्कूल से प्राइमरी और संत जोसफ से दसवीं बोर्ड करने के बाद आगे की पढ़ाई में अर्थिक तंगी बड़ी परेशानी बनी। पिता की प्रैक्टिस से परिवार किसी तरह परिवार चलता था। मां की तबीयत भी चिंता का विषय बनी रहती थी। इसके बावजूद अभिषेक व उसके बड़े भाई अमित ने अपने परिवार के सपने को कभी धूमिल नहीं होने दिया। अभिषेक के अधिवक्ता पिता इंद्रदेव यादव एवं गृहिणी माता मंजू कुमारी ने बताया कि वे हमेशा से इस बात को लेकर आश्वस्त रहे कि उनके बच्चे कोई बड़ा मुकाम हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि आर्थिक तंगी को दोनों पुत्रों की पढ़ाई या तैयारी में कभी बाधक नहीं बनने दिया।

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