पटना शहर में शारदीय नवरात्र की तैयारी जोरों पर है। कई जगह पूजा पंडाल एवं प्रतिमा निर्माण की प्रक्रिया में तेजी गई है। राजेंद्रनगर स्थित पूर्वी लोहानीपुर की निशा देवी स्थान पूजा समिति ने इस बार भक्तों एवं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर को 200 जैक लगाकर तीन फीट ऊंचा करवाया है।
सड़क की ऊंचाई बढ़ने पर पिछले साल यहां पानी जम गया था, जिससे श्रद्धालुओं को दिक्कत हुई थी। इस कारण इस बार मंदिर को ऊंचा किया गया है। यहां लगातार 75 वर्षों से पूजा होती रही है। इस बार प्रतिमा को भव्य और कम वजन का बनाने के लिए थर्मोकोल का प्रयोग किया जा रहा है।
समिति इस बार की पूजा को यादगार बनाने के लिए साज-सज्जा पर खास ध्यान दे रही है। एलईडी लाइट से पंडाल को सजाया जाएगा। पंडाल के मुख्य द्वार पर लाइट से सजी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
मुख्य द्वार को 3000 लाल और पीली लाइट से सजाया जाएगा। मां दुर्गा की प्रतिमा को गोल्डन कलर से सजाया जाएगा। ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की प्रतिमा को भी भव्य बनाने की तैयारी है।
नवरात्रि का महत्व
हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन 9 दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है ।
माँ की आराधना
दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ये तीन रूप में माँ की आराधना करते है| माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, उसे कहते हे की
“या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते” – “सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही माँ / देवी तुम स्थित हो”
नवरात्रि माँ के अलग अलग रूप को निहारने का सुन्दर त्यौहार है। जैसे कोई शिशु अपनी माँ के गर्भ में ९ महीने रहता हे, वैसे ही हम अपने आप में परा प्रकृति में रहकर – ध्यान में मग्न होने का इन ९ दिन का महत्व है। वहाँ से फिर बाहर निकलते है तो सृजनात्मकता का प्रस्सपुरण जीवन में आने लगता है।
नवरात्रि का आखिरी दिन – विजयोत्सव
आखिरी दिन फिर विजयोत्सव मनाते हैं क्योंकि हम तीनो गुणों के परे त्रिगुणातीत अवस्था में हम जा रहे है। काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ आदि जितने भी राक्षशी प्रवृति हैं उसका हनन करके विजय का उत्सव मनाते है। रोजमर्रा की जिंदगी में जो मन फँसा रहता हे उसमें से मन को हटा करके जीवन के जो उद्देश्य व आदर्श हैं उसको निखार ने के लिए यह उत्सव है।
एक तरह से समझ लीजिये की हम अपनी बैटरी को रिचार्ज कर लेते है। हर एक व्यक्ति जीवनभर या साल भर में जो भी काम करते-करते थक जाते हे तो इससे मुक्त होने के लिए इन ९ दिनों में शरीर की शुद्धि, मन की शुद्धि और बुद्धि में शुद्धि आ जाए, सत्व शुद्धि हो जाए। इस तरह का शुद्धिकरण करने का, पवित्र होने का त्यौहार हे नवरात्रि।