कभी सरकारी नौकरी की थी चाह लेकिन मनमुताबिक तनख्वाह नहीं मिली तो पिता के साथ खेती में बटाया हाथ आज अकेले 4 एकड़ में विभिन्न प्रकार की सब्ज़ी की खेती कर कमा रहे लाखो रुपए साथी किसानों के लिए प्रेरणा का श्रोत बने हुए हैं. नालंदा के नूरसराय प्रखंड अंतर्गत जमुनापुर गांव निवासी किसान धर्मेंद्र कुमार उर्फ़ बिहारी महतो 48 वर्ष पिता राजेंद्र प्रसाद हैं.
किसान धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि साल 2013 में झारखंड के कोडरमा में स्वास्थ विभाग के मलेरिया विभाग में संविदा पर बहाली हुई, लेकिन सैलरी कम होने की वजह से ज्वाइनिंग नहीं की. फिर पुनः पिता के साथ खेती में लग गए. आज 4 एकड़ में विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियों की खेती कर 4 लाख रुपए कमा रहे हैं. वे साइंस से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की. उसके बाद रेडीमेड कपड़े का व्यवसाय किया. जब उसमें फ़ायदा नहीं हुआ तो अपना नौकरी की ओर रुख किया. जिसके लिए एक साल घर पर तैयारी किया नौकरी भी लगी, लेकिन संविदा पर सैलरी कम होने की वजह से ज्वाइनिंग ही नहीं किया. उसके बाद पिता किसान थे तो उनके साथ रहकर खेती की. आज 4 एकड़ में भिन्न प्रकार की सब्ज़ी जैसे खीरा, धान और आलू की खेती करते हैं. जो लोकल बाज़ार में ही बिक जाता है. कहीं ले जाने की ज़रूरत नहीं पड़ता है.
यहां देखा तकनीक
इसके अलावा धर्मेंद्र कुमार ने अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र अमेरिका द्वारा प्रायोजित उच्च तकनीकों द्वारा आलू बीज उत्पादन पर एक्सपोजर विजिट सह प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत करनाल (हरियाणा), शिलांग (मेघालय), बंगलोर (कर्नाटक), प्रगतिशील कृषकों के पर तकनीक को दिखाया. जिसमें नालंदा के धर्मेंद्र कुमार ने उच्च तकनीक जैसे मिनीतियबर व भीर्षकर्तन द्वारा रोग रहित आलू बीज का उत्पादन प्रयतक्षण प्रमाण देखकर इच्छा दृढ़ के साथ अपने खेतों में उतारने का काम किया. 2022-23 में करनाल में किसान समूह बनाकर रोग रहित आलू बीज का उत्पादन अधिक मात्रा में किया.