बिहार के कैमूर जिला के एक गांव में शनिवार का दिन खास है। इस दिन एक मुस्मिम लड़की की शादी में पूरा गांव सहयोगी बनकर खड़ा हो गया है।
बिहार का एक गांव सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है। यहां एक निर्धन मुस्लिम परिवार की बेटी की शादी का खर्च पूरा गांव उठा रहा है। बारातियों के स्वागत-सत्कार समेत सारी तैयारियों में लोग जुटे हैं। गांव की बेटी मदिना खातून की बारात शनिवार को आ रही है। शादी के पूर्व की रस्मों में शुक्रवार को गांव की महिलाएं गाने-बजाने में मशगूल रहीं।
मदिना खातून के पिता रुस्तम अली की मौत 18 वर्ष पहले सांप काटने से हो गई थी। वे गांव में कपड़े धुलाई का काम करते थे। पिता की मौत के समय मदिना की उम्र पांच वर्ष थी। रुस्तम की पत्नी सारून बेगम पति की मौत के बाद बेटी व दुधमुंहे बच्चे की परवरिश खानदानी काम से कर रही थी। किसी तरह जीवन बसर कर रही मां को अब बेटी की शादी की चिंता सता रही थी। ऐसे में गांव वालों ने शादी के खर्च के लिए सवा लाख रुपये जुटाए हैं, इसमें हिंदू-मुसलमान सबकी भागीदारी है।