यूपी के मुर्शिदाबाद जिले के जीवन्ती मित्र परिवार के मूर्ति विसर्जन में मुस्लिम महिला और पुरुष शामिल होते हैं। इस परिवार के दुर्गापूजा में भी मुस्लिम शामिल होते हैं।
पूजा के समय वे चंडीपाठ भी सुनते हैं। मित्र परिवार की ओर से दुर्गापूजा के बाद भेड़, बकरा की बलि नहीं बल्कि मिठाई या फलों की बलि चढ़ाई जाती है।
आसपास के 15 गांवों में मित्र परिवार में ही पूजा होती है। मुस्लिम समाज के तत्कालीन रईसों के अनुरोध पर मित्र परिवार में दुर्गापूजा होती है।
इस पूजा का आयोजन डॉ. तारकनाथ मित्र करते हैं। वे हमेशा स्थानीय लोगों के सुख-दुःख में साथ रहते हैं।
कभी गांव के रईसों ने तारकनाथ के घर आकर अनुरोध किया कि जीवन्ती सहित 15 मुस्लिम परिवारों का अध्युशीत गांव में दुर्गापूजा नहीं होती।
आप यदि करें तो अच्छा होता। उसके बाद तारकनाथ जी ने मुस्लिम परिवारों पर विश्वास रखते हुए अपने चेम्बर में ही पूजा शुरु की।
मित्र परिवार के सदस्य सोमनाथ मित्र के अनुसार तारकनाथ का चेम्बर एक मुस्लिम परिवार का दिया हुआ है। वहीं बैठकर तारकनाथ जी रोगियों के इलाज करते हैं।
इसके बाद पूजा शुरू हुई। धीरे-धीरे पूजा मण्डप बनाकर पूजा की जाने लगी। पहले बलि की प्रथा थी। लेकिन धीरे-धीरे बंद कर दी गई।
अब मिठाई एवं फलों की बलि दी जाती है। यहां दुर्गापूजा के समय मुस्लिम परिवार नये कपड़े पहनते हैं।
सोमनाथ के अनुसार भारत में हिन्दू-मुस्लिम दंगे के 100 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन यहां ऐसी कोई भनक नहीं देखने को मिलती है। यहां लोगों के बीच एकता व्याप्त है।