सारण स्थित जेपी यूनिवर्सिटी से पीजी करने के बाद जब नूर अजीज ने मुर्गी पालन शुरू किया तो मुर्गियों को खिलाने के लिए सही दाना नहीं मिल पा रहा था. तब डॉक्टरों की सलाह पर नूर ने अपना दाना बनाना शुरू कर दिया ताकि मुर्गियों का स्वास्थ्य ठीक रहे. नूर अब दूसरे मुर्गी पालकों को भी दाना सप्लाई कर रहे हैं. साथ हीं इस दाना उद्योग से वो महीने का लगभग एक लाख रुपए की कमाई भी कर लेते हैं.
नूर अजीज ने बताया कि जब अंडा उत्पादन के लिए मुर्गी पालन शुरू किया तब मुर्गियों के लिए सही दाना नहीं मिल पा रहा था. ऐसी स्थिति में मुर्गियों का पोषण ठीक से नहीं हो पा रहा था. इसके बाद कुछ डॉक्टरों से बात की. डॉक्टरों ने उन्हें अपना दाना बनाकर खिलाने की सलाह दी ताकि मुर्गियों का विकास अच्छे से हो सके. तब नूर खुद से दाना बनाने की कवायद में लग गए और जल्द हीं दाना बनाने का काम शुरू कर दिया. नूर ने बताया कि शुरुआती दौर में 4-5 लोगों को काम के लिए रखा. कुछ ही दिनों में दाना उद्योग भी चल निकला और आस-पास के इलाके में दूसरे मुर्गी पालकों को दाना उपलब्ध कराने लगे. नूर ने बताया कि फिलहाल दाना उद्योग में 15-20 लोग काम करते हैं.
दो टन दाने का रोज होता है उत्पादन
नूर ने बताया कि रोजाना दो टन दाने का उत्पादन हो रहा है. साथ ही दाने का रोजाना 40 बैग तैयार होता है. जरुरत के अनुसार बढ़ता या घटता है. नूर ने बताया कि अंडा उत्पादन के लिए 8500 मुर्गियों को पाल रहे हैं. कुछ दाने के खपत अपने फार्म में हीं हो जाता है. साथ ही अन्य मुर्गी पालकों को भी दाना सप्लाई करते हैं. नूर ने बताया कि इस दाना उद्योग से साल का लगभग 12-15 लाख रुपए तक की कमाई कर लेते हैं.