कुत्तों के खौफ से हर कोई चिंतित है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार आठ माह में 3932 लोगों को यहां कुत्ते काट चुके हैं। एंटी रेबीज इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है। हर 15 दिन में एंटी रेबीज इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र भेजा जा रहा है। कुत्ता काटने की घटना के बाद लोग मुहल्ले की निगरानी कर रहे हैं। कुछ लोग दिन में मुहल्ले की निगरानी भी खुद करते हैं।
कुत्तों को देखते ही डंडा लेकर दौड़ पड़ते हैं। नवंबर में अब तक दिनों में लगभग तीन सौ लोगों को कुत्ते ने काटा है। इसी तरह अप्रैल में 204, मई में 637, जून में 620, जुलाई में 622, अगस्त में 518, सिंतबर में 534 व अक्टूबर में 497 लोगों को कुत्ते ने काटा है। नगर निगम और नगर परिषद की ओर से कुत्ते की नसबंदी का कोई प्लानिंग नहीं है। इस कारण कुत्तों की संख्या बढ़ती है। प्रमुख चिकित्सक डा. हर्षवर्धन ने बताया कि ठंड के मौसम में कुत्ते की प्रजनन दर बढ़ जाती है।
भोजन नहीं मिलने पर टूटते हैं
जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. शेखर कुमार ने बताया कि कुत्ते के अंदर रेबीज बीमारी होने के कारण लोगों पर टूट पड़ता हैं। वैसे कुत्ते जिसे समय पर भोजन नहीं मिलता और भूख के कारण रास्ते में आने-जाने वाले लोगों को अपना शिकार बनाता है। आवारा कुत्तों के नियंत्रित करने के लिए नगर निगम को पहल करने की आवश्यकता है।
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को करता है प्रभावित
प्रमुख चिकित्सक डा. हर्षवर्धन ने बताया कि रेबीज एक घातक वायरल संक्रमण है। मनुष्य के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह रोग जानवरों में होता है। कुत्ते से मनुष्य और सामान्यत संक्रमित जानवर से काटने के बाद मनुष्य में फैलता है। रेबीज मनुष्य के लिए हमेशा घातक है। काटने के बाद तुरंत इलाज नहीं किया गया तो यह खतरनाक हो सकता है।
सीता कुंड के आयुष कुमार के स्वजन ने बताया सोमवार को पहला टीका लगाया। रविवार को आयुष कुमार घर से निकला तभी कुत्ते का शिकार हो गया। सड़कों पर आवारा कुत्तों के डर से निकलना मुश्किल हो गया है। धरहरा की रंजु देवी ने बताया कि ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां कुत्ते और लकड़बग्घा की संख्या ज्यादा है। एक सप्ताह पहले कुत्ता ने काट लिया। सदर अस्पताल में इलाज करारकर टीका लिए। बेलन बाजार के कृष कुमार ने बताया सड़क पर आवारा कुत्तों का जमावड़ा रहता है। 10 दिन पूर्व घर से निकलते ही कुत्ता पीछे से हमला कर दिया। सदर अस्पताल जाकर इंजेक्शन लेना पड़ा। निगम को ध्यान देने की जरूरत है।