पटना: बिहार के बांका जिले के बाराहाट में स्थित ऐतिहासिक स्थल मंदार सदियों से आस्था का केंद्र रहा है। त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपनी भार्या जानकी के साथ यहां आए थे। इन्होंने मंदार को नरेश कहकर उसपर आरोहण किया था। इसी पर्वत के एक जलकुंड में मां सीता ने सूर्यषष्ठी का व्रत किया था। यह कुंड अब सीताकुंड के नाम से जाना जाता है। आज भी यहां बड़ी संख्या में लोग सूर्योपासना करते हैं।
पुजारी भवेश झा ने बताया कि भगवान राम एवं मां सीता के मंदार आगमन की चर्चा कई ग्रंथों में है। वाल्मीकि द्वारा रचित अद्भुत रामायण में भगवान श्रीराम के मंदार के कई स्थलों पर आगमन की चर्चा की गई है। कथा के अनुसार पितृभक्त श्रवण कुमार की हत्या के पाप से राजा दशरथ को कोई भी तीर्थ मुक्त नहीं कर सका था। अंत में मंदार तीर्थ में दशरथ का श्राद्ध भगवान राम ने किया था। तब जाकर दशरथ को मुक्ति मिली थी।
यहां पिंडदान के बाद श्रीराम ने भी सूर्य उपासना की थी। मंदार पर शोध करने वाले मनोज मिश्रा ने बताया कि कालीदास ने भी अपने प्रसिद्ध ग्रंथ कुमारसंभवम में मंदार को सूर्यदेव का स्थायी निवास माना है। ऐसे में मंदार में सूर्य उपासना और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। ग्रामीण सुमन सिंह व पिंटू कुमार ने बताया कि आज ऐतिहासिक सीताकुंड उपेक्षा का शिकार हो गया है। इसे विकसित करने की जरूरत है।
पर्यटन विभाग ने लगभग 30 करोड़ की लागत से मंदार को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने की योजना बनाई है। इसमें सीताकुंड का जीर्णोद्धार भी शामिल है। इसके लिए पर्यटन विभाग की टीम ने कई स्थलों का जायजा लिया है। डीएम कुंदन कुमार भी इसके लिए प्रयासरत हैं।