मिथिलांचल में कोजगरा का पर्व विशेष महत्व है. बताया जाता है कि यह पर्व नवदंपत्य जीवन की शुरुआत कर रहे दमपत्तियों के लिए विशेष कर मनाया जाता है. यह रामायण काल से चला आ रहा है. यहां मां जानकी सीता के यहां से अयोध्या प्रभु श्री राम के यहां कोजगरा का भार सर्वप्रथम गया था, तब से यह पर्व मनाया जा रहा है.
इस पर विशेष जानकारी कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के PG ज्योतिष विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर कुणाल कुमार झा ने दी. उन्होंने इसकी महत्ता और शुरुवात का इतिहास और इस बार का समय बतलाया.
कन्या पक्ष मानते हैं मधुर श्रावणी व्रत
मिथिलांचल में कोजगरापर्व का विशेष महत्व है. नव दांपत्य जीवन जो प्रारंभ करते हैं तो उसमें कन्या पक्ष के द्वारा मधुर श्रावणी व्रत मनाया जाता है. आदिकाल से ही और वर पक्ष के लिए कोजगरा पर्व मनाया जाता है. इसमें वर को उनके ससुराल से वस्त्रावरण के साथ चुमौंन किया जाता है और उसे विदा किया जाता है. वर पक्ष के घर के लिए यात्रा करवाई जाती है.
जानिए क्या है समय
डॉ. कुणाल कुमार झा ने बताया कि विशेष करके मखाना, पान, मिष्ठान, फल, वस्त्र, आभूषण देकर विदा किया जाता है. जब वह अपने घर पहुंचते हैं तो वहां यह सब कुछ अपने कुल देवता के समक्ष रखकर चुमौंनकिया जाता है. वह सब सामग्रियों को समाज में प्रसाद के स्वरूप वितरण किया जाता है. इस बार कोजगरा वर पक्ष के यहां पहुंचने का जो समय है वह प्रदोष समय में संध्या 7:10 के बाद पूरी रात कोजगरा मनाया जाएगा.