कभी मिट्टी के बर्तनों और दीवारों पर बनाया जाने वाला मिथिला लोकचित्र बीते 60 सालों में मधुबनी पेंटिंग बन गई। ये मिथिलांचल से बाहर निकली और देश से लेकर विदेशों में फैल गई।
मिथिलांचल में किसी पर्व-त्योहार या उत्सव के समय दीवारों पर जो चित्र बनाए जाते थे उसे कैनवास पर उतारा गया। बाद में वह लोगों की मांग पर कपड़ों और मिट्टी के बर्तनों तक पहुंचा। इसमें व्यापार और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।