मिश्रित खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. इस विधि से कम खर्च में किसान को बेहतर मुनाफा हो रहा है. लखीसराय जिला के रामगढ़ प्रखंड अंतर्गत डूडी गांव के रहने वाले किसान नीरज कुमार भी इसी विधि से खेती कर रहे हैं. नीरज 5 एकड़ में फल, फूल, सब्जी, कीमती लकड़ियों के साथ औषधीय पौधे की खेती कर रहे हैं. किसान को इससे यह फायदा हो रहा है उनके खेत में सालोभर फसल लगा रहता हे. जिससे उनको हर माह बेहतर मुनाफा हो जाता है.
मौसमी फल और सब्जी की खेती कर रहे हैं नीरज
किसान नीरज कुमार ने बताया कि पिछले 6 वर्षों से कृषि के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि खेत में 15 से अधिक प्रकार के मौसमी फल और सब्जी की खेती है. इसमें कई लकड़ी वाले पेड़ भी शामिल है. खेत में केला, आलू, लेमनग्रास, हल्दी एवं कीमती लड़कियों में गम्हार, शीशम, महोगनी, सागवान के पेड़ शामिल हैं. नीरज ने बताया कि मिश्रृत खेती करने के पीछे का उद्देश्य यह है कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाए.
उन्होंने बताया कि आजकल किसान अधिक उत्पादन के चक्कर में खेतों में रासायनिक उर्वरकों का जरूरत से ज्यादा उपयोग कर रहे हैं एवं हाइब्रिड बीजों का प्रयोग कर रहे हैं. वहीं भू-जल दोहन से भूमि की उर्वरा शक्ति, उत्पादन, भू-जल स्तर और मानव के स्वास्थ्य पर निरंतर असर पड़ रहा है. वहीं प्राकृतिक खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है और आय दुगनी हो रही है.कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता भी कम हो रही है.
5 एकड़ में दो लाख खर्च कर कमाया 8 लाख मुनाफा
नीरज कुमार ने बताया कि मिश्रित खेती में कोई अलग तरीका नहीं बल्कि देसी तरीका हीं अपनाया है. जिसमें देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और पानी का प्रयोग करते हैं. वहीं विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे की पत्तियों का उपयोग कर बीजामृत, जीवामृत, घंजीवामृत, दसपर्णी अर्क और निमास्त्र का प्रयोग कर खेती कर रहे हैं. जो पूरी तरह से प्राकृतिक है और फसलों का उत्पादन भी बेहतर हो रहा है.
नीरज कुमार बताया कि प्राकृतिक तरीके से ही 5 एकड़ में मौसमी फसलों की खेती कर रहे हैं. जिसमें केला प्रमुख फल है. उन्होंने बताया कि 5 एकड़ में कुल लागत 2 लाख रुपए आया था और अब तक 10 लाख का फल बेच चुके हैं. दो लाख खर्च काटकर 8 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ है.