पेट की आग मिटाने के लिए सहरसा स्टेशन से परदेस कमाने जा रहे हजारों मजदूरों के लिए जनसेवा एक्सप्रेस में सीट सुरक्षित कर पाना किसी जंग जीतने से कम नहीं।
रेलवे का आंकड़ा बताता है कि सिर्फ पांच दिन में 82 हजार 784 मजदूर पेट की आग शांत करने को परदेस जा चुके हैं। टिकट बिक्री से रेलवे को 1 करोड़ 80 लाख 64 हजार 75 रुपये राजस्व प्राप्त हुआ है।
स्थिति यह है कि सैकड़ों यात्री रोज स्टेशन पर छूट जाते हैं। गरमा धान रोपनी का सीजन होने के कारण परदेश जाने की रफ्तार काफी तेज है। जनसेवा एक्सप्रेस में क्षमता से चार गुना अधिक यात्री सवार होते हैं जिससे शौचालय तक में जगह नहीं बचती।