किसी ने कभी नहीं सोचा होगा की बिहार की राजधानी पटना की गलियों में रहने वाला एक कबाड़ का कारोबार करने वाला लड़का दुनिया भर में मेटल किंग के नाम से मसहूर हो सकता है।
गरीबी से जूझते हुए इस बालक ने महज 15 साल की उम्र में पढाई छोड़ अपने पिता के कबाड़ा बेचने के धंधे में हाथ बटाना शुरू कर दिया। संघर्षों की ज़िन्दगी से विश्व के दिग्गज कारोबारियों की सूची में जगह बनाने वाले इस शख्स की कहानी है बिजनेस टायकून की लिस्ट में शामिल वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की।
पटना में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में पैदा हुए अनिल के पिता कबाड़ा बेचने का एक छोटा करोबार करते हुए किसी तरह पूरे परिवार के लिए दो जून की रोटी जूता पाते थे। धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक हालात और दयनीय हो गई तब अनिल ने पढाई छोड़ पिता के करोबार में हाथ बटाने शुरू कर दिए।