RBI की ओर से मास्टर कार्ड पर नए डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड कार्ड जारी करने को बैन कर दिया गया है. RBI के इस फैसले ने कई बैंकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. इससे जो बैंक पूरी तरह से मास्टरकार्ड पर निर्भर हैं, उन्हें अपना कारोबार वीज़ा या फिर घरेलू रुपे में शिफ्ट करना पड़ेगा और इन सबमें कम से कम दो महीने लगेंगे. इससे उनकी कमाई तो प्रभावित होगी ही साथ ही पेमेंट जैसी जरूरी सेवाएं भी प्रभावित होंगी.
मास्टर कार्ड पर बैन का सबसे ज्यादा असर देश के 5 बैंकों पर होगा. इनमें प्राइवेट सेक्टर के एक्सिस बैंक, यस बैंक, इंडसइंड बैंक हैं तो सरकारी सेक्टर के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक और बजाज फिनसर्व शामिल हैं. ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, अब करीबन सात ऐसे वित्तीय संस्था या बैंक हैं जो कि नए कार्ड नहीं जारी कर पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि वे अधिक संख्या में Mastercard से कार्ड लेते थे.
क्या है मास्टर कार्ड को बैन करने का कारण ?
बता दें कि Reserve bank of India ने मास्टरकार्ड पर लोकल डाटा स्टोरेज नियमों का हवाला देते हुए मास्टर कार्ड को नए कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध लगाया है. मास्टरकार्ड पर केन्द्रीय बैंक ने 22 जुलाई से नए ग्राहकों को ऑन-बोर्ड करने से प्रतिबंधित किया है. RBI ने अप्रैल 2018 को पेमेंट सेवाएं देने वाली सभी कंपनियों, फिनटेक के लिए डेटा स्टोरेज से जुड़े नियम जारी किए थे. 2018 के इस नियमों के मुताबिक, विदेशी कंपनियों को देश में पेमेंट का डेटा लोकल सर्वर पर रखना होगा. मास्टरकार्ड पर इन नियमों का पालन नहीं करने का आरोप है.
- सबसे अधिक प्रभावित होने वाले बैंक हैं- RBL बैंक, Yes बैंक और बजाज फिनसर्व. क्योंकि ये कार्ड जारी करने के मामले में पूरी तरह से मास्टर कार्ड पर निर्भर हैं.
- इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक और ICICI बैंक की निर्भरता 35 से 40% है.
- SBI और SBI कार्ड अपने कुल कार्ड का केवल 10% ही हिस्सा मास्टर कार्ड के साथ जारी करते हैं. इसलिए इन पर कम असर होगा.
- HDFC बैंक पर इसका कोई असर नहीं होगा क्यूंकि, रिजर्व बैंक ने पिछले साल ही HDFC बैंक पर नए डेबिट और क्रेडिट कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
- कोटक महिंद्रा बैंक का कार्ड पोर्टफोलियो पूरी तरह से वीजा पर निर्भर है, इसलिए इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा.