मेरा भाई देश की हिफाजत करते हुए शहीद हो गया। सरकार मेरे भाई को तो वापस नहीं लौटा सकती है पर मैं सरकार से यह मांग कर रही हूं कि वह 100 पाकिस्तानी आतंकियों का सिर लाकर मुझे दे। सरकार को मेरे भाई की मौत का बदला हर हाल में लेना चाहिए। यह कहना था जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में शहीद हुए कॉर्पोरल निलेश कुमार नयन की बहन प्रियंका का।
शहीद के उधाडीह गांव में प्रियंका बार-बार सिर्फ यही सवाल कर रही थी कि सरकार ने मेरे भाई कि जान क्यों नहीं बचाई।
मेरे परिवार के लिए यह गर्व की बात है कि इस गांव के जवान ने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी है। इससे पहले गुरुवार को दोपहर 2:30 बजे जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, पूरा गांव अपने लाल को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा।
शहीद के स्वागत में जगह-जगह सड़क पर फूलों की बारिश की जा रही थी। शहीद के घर से दो किलोमीटर तक विदाई देने वालों का तांता लगा था। हर किसी की नम आंखे अपने लाल को अंतिम बार देखने के लिए तरस रही थीं।
निलेश की मां बुलबुल देवी ने कहा कि पाकिस्तान से अब आर-पार की लड़ाई होनी चाहिए। कब तक देश की मां अपने बेटे की मौत पर बिलखती रहेगी।
कब तक महिलाओं की मांग उजड़ती रहेगी। भारत सरकार को अब चुप नहीं रहना चाहिए। सब्र बहुत हो गया अब मुंहतोड़ जवाब देने का समय आ गया है। उधाडीह गांव से 8 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज पहुंचने में शवयात्रा को करीब पांच घंटे लग गए। गांव के बच्चे बूढ़े, महिलाएं और युवा अपने हाथ में तिरंगा झंडा लेकर शहीद की जयकार करते रहे।
गंगातट पर शहीद के शव को लेकर पूर्णिया से पहुंचे 50 से अधिक एयरफोर्स के जवानों ने 21 बंदूकों की सलामी दी। बिगुल पर शौर्य और वीरता का धुन बजते ही पूरा माहौल गमगीन हो गया। अंतिम संस्कार के दौरान वहां मौजूद पांच हजार लोगों की आंखे नम हो गईं पर चेहरे पर इस बात कि खुशी थी कि यहां का लाल देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है।
शहीद की शवयात्रा जैसे ही सुल्तानगंज शहर में प्रवेश किया। लोग अपने घरों से निकलकर सडक पर पहुंच गये। शव यात्रा के साथ शहर में करीब दो हजार लोग और शामिल हो गये। लोग शहीद का जयकारा लगाते हुए गंगा तट तक पहुंचे। जिस समय शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था।
लोग वंदेमातरम और पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाते रहे। सब लोगों की जुबां पर बस एक ही बात थी। भारतीय सेना पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे।