शहीद हुए एयरफोर्स के गरूड़ जवान नीलेश कुमार के पार्थिव शरीर गुरुवार को सुल्तानगंज के उधाडीह गांव में फूलों की सेज पर उतारा गया गया। इस दौरान अपने लाल की एक झलक पाने को पूरा गांव मौजूद था। अंतिम यात्रा में निलेश की मां, बहन, पत्नी और छह महीने की बेटी भी मौजूद रही।
इससे पहले पूरा गांव बुधवार देर रात से शहीद के अंतिम दर्शन करने की राह देख रहा था। मुखिया संजीव सुमन की अगुवाई में गांव को साफ-सुथरा किया गया था। जिस रास्ते से नीलेश का पार्थिव शरीर गांव पहुंचना था, उसे फूलों से सजाया गया था। गुरुवार दोपहर साढ़े तीन बजे शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा।
उत्तर वाहिनी गंगा के जहाज घाट पर शहीद के फौजी भाई नितिन कुमार ने देर शाम 07:10 बजे मुखाग्नि दी।देर शाम जैसे ही निलेश कुमार का पार्थिव शरीर उधारी गांव से सुल्तानगंज घाट के लिए रवाना हुआ, सड़क किनारे हजारों लोगों का तांता लगा रहा।
पार्थिव शरीर को जिस रास्ते से घाट तक पहुंचना था उसे सील कर दिया गया था। उस रास्ते से बड़े और छोटे वाहनों के एंट्री पर रोक लगा दी गई थी।पार्थिव शरीर के पीछे-पीछे सैकड़ों बाइक सवार निलेश कुमार अमर रहे और भारत माता की जय के नारे लगाते घाट तक पहुंचे।
शहीद के अंतिम यात्रा में आगे-आगे बिहार रेजिमेंट दानापुर आर्मी कैंट की गाड़ी चल रही थी। उनके पीछे पार्थिव शरीर को लेकर एयरफोर्स की गाड़ी चल रही थी। मेन रोड से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके घर तक जाने में काफिले को एक घंटे का समय लग गया।
पार्थिव शरीर के आंगन में पहुंचते ही मां बुलबुल देवी, नजर से ओझल हो चुके पोते को देखने की तमन्ना लिए दादी पार्वती देवी समेत गांव की अन्य महिलाएं बिलखने लगी।
उधाडीह गांव जाने वाली सड़क पर शहीद के स्वागत में दो किलोमीटर तक सड़क के दोनों किनारे खड़े थे।
इस दौरान ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए, दिल दिया है, जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए गूंज रहे थे।