मानसून के कमजोर रहने की स्थिति में उत्तर बिहार के किसानों की चेहरे पर मायूसी छाई है. क्योंकि धान के फसल की बुआई पर ग्रहण लग गया है. किसानों की माने तो अच्छी बारिश नहीं होने की वजह से धान के ऊपर लगाए गए खर्च अब निकलना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में किस प्रकार से खेती की जाए, जिससे कि नुकसान ना हो या फिर नुकसान हो चुके फसलों की भरपाई की जा सके. तो आप कृषि वैज्ञानिक के सुझाए इन उपायों से फसल उगाने के साथ अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
अपनाए यह उपाय, होगा फायदा
इस संदर्भ में डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के कृषि व मौसम तकनीकी पदाधिकारी डॉ. गुलाब सिंह से बात की गई. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उचित तापमान और अनावृष्टि के कारण वाष्पन की प्रक्रिया में तेजी आई है.
ऐसी स्थिति में खड़ी फसलों जैसे रोपी गई धान में जीवन रक्षा सिंचाई करें. हल्दी और और गन्ने की फसल में भूमि में नमी की कमी को देखते हुए अविलंब सिंचाई करें. मानसून के कमजोर रहने या वर्षा ना होने की संभावना को देखते हुए जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. बिचड़ा तैयार है. वह नीचे जमीन में धान की रोपनी करें.
अभी उन्चास जमीन में धान की रोपनी नहीं करें. उस जमीन में धान फसल के बदले मूंग, उड़द और तिल जैसी फसलों की बुवाई कर सकते हैं. मूंग के लिए एच यू एम16 और उड़द के लिए पंत उरद 19, पंत उरद 31, नवीन एवं उतरा किस्मेंबुवाई के लिए अनुशंसित हैं. जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध है, वह धान की रोपनी 31 जुलाई तक कर सकते हैं. धान की रोपनी उसके बाद करना ठीक नहीं होगा, क्योंकि ऐसे करने से धान की फूल की अवस्था में तापमान में कम हो जाने की संभावना रहती है. जिससे उपज में भारी कमी आ सकती है.