भागलपुर में सरकारी खाते से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब तक की जांच में जो बात सामने आई है वह यह है कि Srijan एक गैर सरकारी संस्था है, जो जिले में महिलाओं के विकास के लिए कार्य करती थी, असल में इस संस्था का मुख्य धंधा करोड़ों का गोरखधंधा था।
इस संस्था ने पिछले कई वर्षों से बैंकों की मिलीभगत से सरकारी जमा खाते से तकरीबन 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध निकासी की।
भागलपुर के सबौर ब्लॉक में Srijan का मुख्य दफ्तर था। वैसे तो इस दफ्तर को आर्थिक अपराध शाखा, जो इस पूरे गोरखधंधे की जांच कर रही है, द्वारा सील किया जा चुका है पाया गया कि यहां पर महिलाओं को सशक्त और रोजगार प्रदान करने के लिए इस संस्था के द्वारा पापड़, मसाले, साड़ियां और हैंडलूम के कपड़े बनवाए जाते थे। इस दफ्तर में पाए गए मसाले और पापड़ सभी Srijan ब्रांड से बाजार में बेचे जाते थे।
अब यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि पापड़ और मसाले बनाने का धंधा केवल दुनिया को गुमराह करने के लिए था और असल में करोड़ों रुपये सरकारी खजाने से अवैध निकासी करना इस संस्था का मुख्य काम था।
जांच में यह बात सामने आई है कि अब तक 300 करोड़ रुपये से ज्यादा जो इस संस्था ने सरकारी खजाने से अवैध रुप से निकाले थे। इस पैसे को बाजार में निवेश किया, साथ ही रियल एस्टेट में भी लगाया। इन पैसों से लोगों को 16% ब्याज दर पर लोन भी मुहैया कराया गया।
भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने बताया कि यह संस्था दो तरीकों से इस पूरे सरकारी खजाने से अवैध निकासी का काम करती थी। एक तरीका था स्वाइप मोड और दूसरा था चेक मोड। स्वाइप मोड के जरिए भारी रकम राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा भागलपुर जिले के सरकारी खातों में जमा कराए जाते थे।
स्वाइप मोड में राज्य सरकार या केंद्र सरकार एक पत्र के माध्यम से बैंक को सूचित करती थी कि कितनी राशि बैंक में जमा करा दी गई है। बैंक के अधिकारी भी इस पूरे गोरखधंधे में शामिल थे। वह सरकारी खाते में इस पैसे को जमा नहीं दिखाकर Srijan के खाते में इस पूरे पैसे को जमा कर दिया करते थे।
दूसरा तरीका था चेक मोड, जहां पर राज्य सरकार या केंद्र सरकार जो भी पैसे भागलपुर जिले के सरकारी खातों में जमा कराना था वह चेक के माध्यम से किया जाता था। एक बार सरकारी खाते में चेक जमा हो जाता था तो फिर जिलाधिकारी के दफ्तर में शामिल कुछ लोग जो कि इस गोरखधंधे में हिस्सा थे, जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर से अगले दिन वही राशि ‘सृजन’ के अकाउंट में जमा करा दिया करते थे।
गौरतलब है कि इस पूरे मामले में अब तक 7 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं और 5 प्राथमिकी भी दर्ज की जा चुकी हैं। Srijan के संस्थापक मनोरमा देवी के पुत्र और बहू, अमित कुमार और बेटी प्रिया कुमार फिलहाल फरार चल रहे हैं और पुलिस उनको गिरफ्तार करने के लिए दबिश दे रही है। मनोरमा देवी जो इस पूरे गोरख धंधे की मास्टरमाइंड थी, उसकी मृत्यु इसी साल फरवरी महीने में हो चुकी है।