मंहगाई के इस दौर में बेरोजगारी बड़ी समस्या है. हर जगह बेरोजगारों की लंबी सूची है. मगर इनमें ऐसे भी युवा हैं जिनको मनपसंद नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने अपने पर हताशा हावी होने नहीं दिया, और आत्मनिर्भर बनने के लिए अलग राह चुनी. बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रामप्रीत की कहानी कुछ ऐसी ही है. रामप्रीत को बिजनेस आइडिया राह चलते बजने वाले संगीत से मिला. आपको यह बात सुनकर भले ही आश्चर्य हो, लेकिन यह सच है.
दरअसल, भोजपुरी फिल्म जंग के एक गाने में बेरोजगारी में बीए की पढ़ाई करने के बाद भी मुर्गा, बकरी चराने की कहानी दिखाई गई है. फिल्म में मनोज तिवारी के एक गाने को सुनने के बाद जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के अर्जुन टोल के रहने वाले रामप्रीत वर्मा के ज़िंदगी की कहानी बदल गई.
11 लाख की लागत से शुरू किया मुर्गी पालन
बीए की पढ़ाई कर चुके रामप्रीत पिछले नौ साल से मुर्गी पालन के कारोबार से जुड़े हुए हैं. उन्हें बिजनेस आइडिया भले ही आसानी से मिल गया, लेकिन व्यापार जमाने में काफी संघर्ष करना पड़ा. शुरुआत में ग्रामीणों से कर्ज लेकर 11 लाख की लागत से मुर्गी पालन शुरू किया, लेकिन दो साल तक नुकसान होने के कारण इसे बंद करना पड़ गया. फिर कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में आर्थिक तंगी ने रामप्रीत को सोचने पर विवश कर दिया. मन में ख्याल आया कि जब जागो तभी सवेरा, बस फिर क्या था, रामप्रीत इस व्यवसाय से एक बार फिर जुड़े ओर मेहनत के दम पर उनका सवेरा हो गया. अब उनकी गिनती बेगूसराय जिले में अच्छे मुर्गा पालकों में होती है.
रामप्रीत वर्मा ने अपने कमाई का जिक्र करते हुए बताया कि 7 हजार स्क्वायर फीट में 5 हजार मुर्गी का पालन कर रहे हैं. 30 से 40 दिनों में मुर्गी तैयार हो जाता है. लगभग 9 लाख लागत आता है. लेकिन 40 दिन बार बिक्री करने पर लगभग दो लाख का मुनाफा हो जाता है. इस कारोबार को सुचारू रूप से चलाने के लिए चार युवाओं को रोजगार भी दिया है. जिन्हें हर माह 10 हजार सैलरी दी जाती है. हालांकि मुर्गी पालन में कुछ सावधानियां हैं , जिसपर फोकस कर न सिर्फ बेहतर कमाई कर रहे हैं बल्कि लोगों को इस व्यवाय से जुड़ने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं.