हर एक बिहारी के माता पिता अपने बच्चों इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस या IPS बनाना चाहते हैं। वैसा ही कुछ सपना मनीष के माता पिता ने भी देखा था। लेकिन वो तो हमेशा से ही एक अभिनेता बनना चाहते थे। मनीष बताते हैं, ‘मेरे सपने बहुत थे और मुझे सपना देखना बचपन से ही अच्छा लगता था। में सपनो में ही न जाने क्या-क्या बन जाया करता था। कभी डॉक्टर,तो कभी पायलट,तो कभी पुलिस और कभी गुंडा भी। शायद मेरे अंदर कोई कलाकार उस वक़्त भी जीवित था। जो मुझे अंदर से सन्देश दे रहा था कि मैं अभिनेता बनने के लिए ही पैदा हुआ हूँ।’
मनीष बताते हैं की उनके परिवार का दूर-दूर तक कला के क्षेत्र से कोई सम्बन्ध नहीं था। समय बीतने के साथ ही कभी डॉक्टर बनने की,कभी आर्मी ज्वाइन करने की पढ़ाई चालू रही। इसी बीच दरभंगा से पढाई पूरी कर पटना आये और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए।
लेकिन दिल्ली जाने के बाद बचपन का सपना फिर से आँखों में तैरने लगा। मनीष ने फ़िल्मी कलाकारों के कई इंटरव्यू। तभी उन्होंने कुछ हस्तियों के इंटरव्यू में पढ़ा की वो सभी ने एनएसडी मंडी हाउस में थिएटर किया है। इसी सोच के साथ मनीष भी अपनी किस्मत आज़माने थिएटर की और रुख मुड़। दिल्ली में मॉडलिंग के अलावा मंडी हाउस में एनएसडी के सुरेश शर्मा के जी साथ काफी नाटक किया। पूरे इंडिया भर में थिएटर के कई शोज किये। दिल्ली में चार पांच साल थिएटर करने के बाद सपनो की नगरी मुम्बई के लिए निकल पड़े।
मनीष कहते हैं की मुंबई में उन्होंने बहुत स्ट्रगल किया पर सफलता नहीं मिली थी। फिर वापस दिल्ली चले गए….