गंगा-जमुनी तहजीब का बेजोड़ नमूना है मनेर शरीफ की दरगाह

इतिहास

बिहार के मनेर शरीफ जो सूफी संत मखदमू यहया मनेरी के नाम से जाने जाते है। मनेर शरीफ खानकाह का इतिहास काफी पुराना है। देश में सूफी सिलसिले की शुरुआत का गवाह मनेर शरीफ दरगाह है।

यह दरगाह गंगा,सोन और सरयु नदी के संगम पर स्थित है। इस दरगाह की बुनियाद 1180 ई. (576 हिजरी) में रखी गयी थी।

स्थानीय जानकार बताते हैं कि यह खानकाह देश के सबसे पुराने खानकाहों में से एक है।राजधानी पटना से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर मनेरशरीफ दरगाह है।

यह गंगा-जमुनी तहजीब का बेजोड़ नमूना है। यहाँ हर धर्म के लोग पहुँचते हैं और दुआएं मांगते हैं।

मान्यताओं के अनुसार मखदूम शाह कमाल उद्दीन याहिया मनेरी की दरगाह से कोई खाली हाथ वापस नहीं जाता। मनेरशरीफ में दो दरगाह है मखदमू शाह दौलत की कब्रें बनी हैं। इन कब्रों को बड़ी दरगाह और छोटी दरगाह कहा जाता है।कहा जाता है कि ताज फकीह ने 1180 ई. में खानकाह की बुनियाद रखी।

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