जहां हम हार मान लेते हैं हम वहीं मर जाते हैं। वरना किसी में हिम्मत नहीं कि हमें रोक सके। आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे किस्मत ने हराने की बहुत कोशिश की लेकिन वो डरा नहीं, डटा रहा और जीत गया।
इस टीचर के जज्बे की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है। बचपन से ही इस शख्स के दोनों पैर काम नहीं करते। शयमू 8 किलोमीटर दोनो हाथो पर रेंगते हुए घर से आकर इन ग़रीब बच्चो को पढ़ाते हैं।
उन्हें हर दिन रास्तों में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन ये दिक्कतें उनकी हिम्मत को मात नहीं दे पाई। वो हर दिन 8 किलोमीटर का सफर तय करते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं।
शयमू का कहना हैं कि बच्चे देश का भविष्य है। हम देश के भविष्य को भला कैसे बर्बाद कर सकते हैं। मुझे जिसना होगा मैं अपनी ओर से करूंगा। जब तक मुझमे जान है मैं इसी तरह उन बच्चों को शिक्षा देता रहूंगा और पैसों की तंगी की वजह से पढ़ नहीं पाते।